पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के साइंटिस्ट ने कहा कि अगले 5 सालों में हम बाढ़ के दौरान शहरों में बारिश/ओलावृष्टि को रोका जा स …अधिक पढ़ें
संबंधित खबरें
- पूरे राज्य में जबरदस्त बारिश के आसार, मौसम को लेकर जारी हुआ ये अलर्ट
- राजस्थान में बरसात का दौर जारी, आज इन जिलों में तेज बारिश होने की संभावना
- दिल्ली-NCR में झमाझम बारिश, गुजरात में आएगा जलजला, जानें UP-बिहार का मौसम
- जालौर में आज भारी बारिश की चेतावनी, जवाईबांध का जलस्तर बढ़ा..
नई दिल्ली. भारतीय मौसम वैज्ञानिकों ने खुशखबरी लेकर आएं हैं. अब बारिश या फिर सूखे से किसी को परेशान नहीं होना पड़ेगा. बस झटके में आसमान से गिर रहे पानी को कंट्रोल किया जा सकेगा. वैज्ञानिक अगले 5 साल में मौसम का जीपीटी बनाने जा रहे हैं. इससे किसी भी विशेष क्षेत्र में बारिश को कंट्रोल किया जा सकता है. उदाहरण के लिए, अगर हम बात करें कि 15 अगस्त को लाल किले पर झंडा फहराना हो और बारिश हो रही है… तो इस तकनीक की मदद से वैज्ञानिक बारिश को रोकने में सक्षम होंगे. वहीं, किसी क्षेत्र में बाढ़ से निपटने के लिए बारिश कंट्रेल किया जा सकेगा.
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) के सचिव एम रविचंद्रन ने बताया, कि अगले 5 सालों में हम बाढ़ के दौरान शहरों में बारिश/ओलावृष्टि को रोका जा सकता है. उन्होंने कहा, ‘हम पहले कृत्रिम वर्षा के रोकने और बढ़ाने पर प्रयोग करेंगे. अगले 18 महीनों में लैब सिमुलेशन (क्लाउड चैंबर) किए जाएंगे, लेकिन हम निश्चित रूप से पांच साल में कृत्रिम मौसम में संशोधन करने में सक्षम हो जाएंगे.’ उन्होंने बताया कि इसके लिए कैबिनेट से मंजूरी मिल गई है.
मौसम GPT
इस मिशन का उद्देश्य भारत को जलवायु के प्रति स्मार्ट और मौसम के प्रति तैयार बनाना है, ताकि बादल फटने सहित किसी भी खतरनाक मौसमी घटना ना हो जाए. इस मिशन के तहत भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) और MoES के अन्य वैज्ञानिक संस्थान चैटGPT जैसा एप्लिकेशन ‘मौसम GPT’ भी विकसित और लॉन्च करेंगे. यूजर्स अगले पांच वर्षों में लिखित और ऑडियो दोनों रूपों में मौसम से संबंधित जानकारी देगा.
कई देशों में पहले से तकनीक का प्रयोग
अमेरिका, कनाडा, चीन, रूस और ऑस्ट्रेलिया सहित अन्य देशों में हवाई जहाज या ड्रोन की मदद से बारिश कराया जाता है. इसका इस्तेमाल काफी कम स्तर पर होता है. इसमें क्लाउड सीडिंग के माध्यम से वर्षा को रोका या बढ़ाया जाता है. इनमें से कुछ देशों में फलों के बागों और अनाज के खेतों को नुकसान से बचाने के लिए ओलावृष्टि को कम करने के उद्देश्य से ओवरसीडिंग नामक क्लाउड सीडिंग परियोजनाएँ चल रही हैं.
क्लाउड सप्रेशन पर होगा काम
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय पूर्व सचिव माधवन राजीवन ने बताया, ‘क्लाउड सीडिंग और क्लाउड मॉडिफिकेशन एक जटिल प्रक्रिया है. हमने सीमित सफलता के साथ वर्षा को बढ़ाने के लिए क्लाउड सीडिंग के साथ बहुत सारे प्रयोग किए हैं. लेकिन, क्लाउड सप्रेशन पर बहुत कुछ नहीं किया गया है.’ उन्होंने कहा कि हालांकि, भारत में मौसम परिवर्तन की गुंजाइश है, लेकिन इसका विज्ञान अभी तक अच्छी तरह समझा नहीं गया है और तकनीक जटिल है. राजीवन ने कहा, ‘मेरे विचार से हमें मौसम परिवर्तन पर शोध शुरू कर देना चाहिए और इसके लिए निवेश की जरूरत है.’