Rajasthan Assembly by-election: झुंझुनूं को पकड़े बैठी कांग्रेस, बीजेपी तलाश रही मौका, कौन लगाएगा जीत का चौका?

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Jhunjhunu Assembly by-election: सैनिक बाहुल्य झुंझुनूं विधानसभा सीट पर आने वाले दिनों में उपचुनाव होने वाले हैं. इसके ल …अधिक पढ़ें

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झुंझुनूं. राजस्थान में आने वाले कुछ महीनों में सात विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने वाले हैं. इनमें से झुंझुनूं समेत पांच सीटें कांग्रेस के पास थी. उपचुनावों को लेकर बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टियां जी जान से जुटी हुई हैं. झुंझुनूं कांग्रेस की परंपरागत सीट रही है. इस सीट पर आजादी के बाद से ही कांग्रेस का दबदबा रहा है. बीते चार चुनावों से कांग्रेस लगातार यहां अपना परचम लहराती आ रही है. इस सीट पर काबिज होने के लिए बीजेपी कई प्रयोग कर चुकी है. लेकिन कांग्रेस इसको मजबूती से पकड़े हुए बैठी है. वहीं बीजेपी इसे पाने के लिए मौका तलाश रही है. इस बार यह देखना दिलचस्प होगा कि यहां जीत का चौका कौन लगाएगा?

झुंझुनूं सीट से बीते विधानसभा चुनाव में लगातार चौथी बार जीत दर्ज कराने वाले बृजेन्द्र ओला अब सांसद बन गए हैं. लिहाजा यह सीट खाली हो गई है. इस सीट पर कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं की नजर टिकी हुई है. वहीं बीजेपी इस सीट से ओला परिवार का वर्चस्व तोड़कर इसे अपने खाते में डालने की तैयारी कर रही है. बृजेन्द्र ओला के पिता शीशराम ओला कांग्रेस के दिग्गज नेता थे. वे कई बार सांसद और विधायक बनने के साथ ही केन्द्र में मंत्री में रहे थे. ओला की मजबूत राजनीतिक पकड़ का जबर्दस्त फायदा उनके परिवार को मिला.

बृजेन्द्र ओला झुंझुनूं से लगातार चार विधायक चुने गए
शीशराम के बेटे बृजेन्द्र ओला झुंझुनूं से लगातार चार विधायक चुने गए. फिर अब सांसद भी बन गए. इस बीच बृजेन्द्र ओला की पत्नी राजबाला ओला जिला प्रमुख भी रह चुकी हैं. ओला परिवार की लगातार जीत से साफ है कि यहां कांग्रेस की जड़े जबर्दस्त मजबूत हैं. कांग्रेस के इस किले को भेदने के लिए बीजेपी लंबे समय से जूझ रही है. लेकिन उसकी पार नहीं पड़ रही है. इस सीट से बीजेपी ने अंतिम बार विधानसभा चुनाव 2003 में जीत दर्ज कराई थी. उस समय सुमित्रा सिंह ने बीजेपी को जीत दिलाई थी. बाद में वे विधानसभा अध्यक्ष भी बनीं.

बीजेपी ने यहां एक उपचुनाव जीता था
उससे पहले 1996 में हुए उपचुनाव में भी बीजेपी के डॉ. मूल सिंह शेखावत ने यह सीट बीजेपी के खाते में डाली थी. उससे पहले भी यह सीटअधिकांश समय कांग्रेस के ही कब्जे में रही. 2008 विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस ने यहां बीजेपी को फटकने भी नहीं दिया. अब इस उपचुनाव में फिर यहां जोरदार दंगल होने की उम्मीद है. यहां कांग्रेस की जड़ें मजबूत होने के कारण इस पार्टी में दावेदारों की संख्या ज्यादा है. क्योंकि यह सीट पार्टी के लिए सुरक्षित मानी जाती है.

झुंझुनूं विधानसभा का यह है जातिगत समीकरण
झुंझुनूं सीट जाट मतदाता बाहुल्य है. इस विधानसभा क्षेत्र में जाट मतदाताओं की संख्या करीब 60 हजार आंकी जाती है. उसके बाद दूसरे नंबर मुस्लिम मतदाता हैं. मुस्लिम मतदाताओं की संख्या करीब 45 हजार पर मानी जाती है. तीसरे नंबर पर एससी मतदाता हैं. उनके करीब 40 हजार वोट बताए जाते हैं. यहां राजपूत मतदाताओं की 30 हजार है. इन जातियों के अलावा यहां करीब 30 हजार माली, 3500 एसटी, 18 हजार ब्राह्मण, 7 हजार वैश्य, 4 हजार गुर्जर, 8 हजार कुम्हार और शेष अन्य जातियों के मतदाता हैं.

बीजेपी और कांग्रेस में ये नेता जता रहे हैं दावेदारी
यहां कांग्रेस से अमित ओला, दिनेश सुंडा, यशवर्धन सिंह शेखावत और एमडी चौपदार के नाम प्रमुख दावेदारों के रूप में सामने आ रहे हैं. वहीं बीजेपी से विशम्भर पूनिया, राजेन्द्र भांबू, निशित चौधरी, बनवारीलाल सैनी, राजीव सिंह, शुभकरण चौधरी और हर्षिणी कुलहरि दावेदारी जता रहे हैं. वहीं उदयपुरवाटी के पूर्व विधायक और गहलोत सरकार में दो बार मंत्री रह चुके राजेन्द्र गुढ़ा भी यहां संभावनाए तलाश रहे हैं. वे अब शिवसेना (शिंदे) को ज्वॉइन कर चुके हैं. इस बार उन्होंने अपनी राजनीतिक जमीन तलाशने के लिए बेटे का जन्मदिन झुंझुनूं में मनाकर समर्थकों को एकत्र किया था.

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