CJI DY Chandrachud: CJI डीवाई चंद्रचूड़ दो साल तक भारत के मुख्य न्यायाधीश रहे. उनके पिता भी चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया थे और …अधिक पढ़ें
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CJI डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) का कार्यकाल डेढ़ महीने और बचा है. वह 10 नवंबर 2024 को रिटायर हो जाएंगे. 9 नवंबर 2022 को भारत के मुख्य न्यायाधीश बनने वाले वाले डीवाई चंद्रचूड़ का कार्यकाल 2 साल का रहा. उनके पिता जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ भी भारत के मुख्य न्यायाधीश थे. दिलचस्प बात यह है कि सीजेआई की कुर्सी पर सबसे ज्यादा समय तक रहने का रिकॉर्ड भी जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ के नाम ही रहा है. वो 7 साल तक सीजेआई की कुर्सी पर थे.
कौन थे जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़
भारत के 16 वें मुख्य न्यायाधीश जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ 22 फरवरी 1978 को CJI नियुक्त हुए और 11 जुलाई 1985 तक कुर्सी पर रहे. 12 जुलाई 1920 को पुणे में जन्में जस्टिस जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ (Former CJI YV Chandrachud) ने साल 1940 में मुंबई के एलफिंस्टन कॉलेज से हिस्ट्री और इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएशन की पढ़ाई की. फिर 1942 में पुणे के आईएलएस लॉ कॉलेज ( ILS Law College) से एलएलबी की डिग्री ली.
वकील से जज का सफर
जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ (Justice YV Chandrachud) ने साल 1943 में बॉम्बे हाई कोर्ट में एनरोलमेंट करवाया और प्रैक्टिस शुरू की. कुछ ही दिनों के अंदर वो बॉम्बे हाई कोर्ट के मशहूर वकीलों में शुमार हो गए. साल 1961 में उन्हें बॉम्बे हाई कोर्ट का जज नियुक्त किया गया और फिर 1972 में उनका तबादला सुप्रीम कोर्ट हो गया. यहीं साल 1978 में वह चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया नियुक्त हुए. उनकी नियुक्ति मोरारजी देसाई की अगुवाई वाली जनता पार्टी की सरकार ने की थी.
क्यों संजय गांधी को भेजा जेल?
मोरारजी देसाई की सरकार महज दो साल सत्ता में रही. जनता पार्टी की सरकार जाते ही कांग्रेस एक बार फिर सत्ता में लौट आई. सीजेआई वाईवी चंद्रचूड़ की केंद्र सरकार से ठन गई. दरअसल, कांग्रेस और इंदिरा गांधी पर इमरजेंसी के दिनों में तमाम मनमानी का आरोप लगा. इंदिरा के बेटे संजय गांधी पर तो कई गंभीर आरोप थे. जिनमें से एक ‘आरोप किस्सा कुर्सी का’ फिल्म के प्रिंट जलवाने का था.
यह पॉलिटिकल स्पूफ फिल्म थी, जिसे बाद में जनता पार्टी से सांसद बने अमित नहाटा ने बनाई थी. जब इमरजेंसी खत्म हुई तो उस दौर की मनमानियों और कांग्रेस पर लगे आरोपों की जांच के लिए शाह कमीशन बना. उस कमीशन ने संजय गांधी को दोषी माना. बाद में मामला सुप्रीम कोर्ट चला गया. तब जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ सीजेआई हुआ करते थे. उन्होंने संजय गांधी को दोषी करार देते हुए 30 दिनों की न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल भेज दिया.
यह भी जानिये: जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ इकलौते बाप-बेटे हैं, जो सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की कुर्सी तक पहुंचे हैं.
पिता का वो फैसला जिसे बेटे ने पलट दिया
जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट में अपने कार्यकाल के दौरान 348 जजमेंट लिखे. सबसे ज्यादा 48 जजमेंट साल 1977 में इमरजेंसी के ठीक बाद दिये. जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ के सबसे मशहूर फैसलों में ‘एडीएम जबलपुर वर्सेस शिवाकांत शुक्ला’ केस में था जिसे ‘हैबियस कॉर्पस’ केस के नाम से भी जानते हैं. इस केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इमरजेंसी के दौरान संविधान में दिए गए ‘राइट टू लाइफ का अधिकार’ सस्पेंड किया जा सकता है.
साल 2017 में सुप्रीम कोर्ट की नौ जजों की संविधान पीठ ने 1976 के उस फैसले को पलट दिया. इस फैसले को पलटने वाली बेंच में जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ के बेटे डीवाई चंद्रचूड़ भी शामिल थे. बाद में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ से जब एक इंटरव्यू में पिता के फैसले को पलटने पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘हर पीढ़ी के जज उस वक्त के सामाजिक और संवैधानिक संदर्भों के नजरिए से काम करते हैं. मेरे पिता को उस समय के संदर्भ पर यकीन था और मुझे आज के संदर्भ पर…’