PM मोदी के कट्टर विरोधी मणिशंकर अय्यर ने एस जयशंकर को किया सलाम

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S Jaishankar: मणिशंकर अय्यर ने एस जयशंकर की तारीफ करते हुए इंडियन एक्सप्रेस में एक लेख लिखा है. अपने लेख में मणिशंकर अय …अधिक पढ़ें

नई दिल्ली: इन दिनों भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर छाए हुए हैं. उनकी अगुवाई में भारत का विदेशी रिश्ता काफी मजबूत हेता जा रहा है. हाल ही में इसकी बानगी उनकी पाकिस्तान यात्रा पर दिखी. जयशंकर SCO बैठक के लिए पाकिस्तान की यात्रा पर गए थे. इस दौरान पाकिस्तान ने खुलकर दोस्ती का तराना गाया. अब मोदी सरकार के कट्टर आलोचक और पूर्व कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने एस जयशंकर की तारीफ की है.

मणिशंकर अय्यर ने एस जयशंकर की तारीफ करते हुए इंडियन एक्सप्रेस में एक लेख लिखा है. अपने लेख में मणिशंकर अय्यर ने कहा ‘मोदी सरकार और उसके हिंदुत्व के घातक दर्शन के कट्टर विरोधी और उसकी विदेश नीति के कई पहलुओं के आलोचक के रूप में, मैं विदेश मंत्री एस जयशंकर द्वारा हाल ही में इस्लामाबाद की अपनी पहली यात्रा के दौरान प्रदर्शित की गई उत्कृष्ट राजनीति की सराहना करना चाहता हूं.’

मणिशंकर ने खूब की जयशंकर की तारीफ
अपने लेख में मणिशंकर ने कहा ‘SCO शिखर सम्मेलन में उनका उद्घाटन वक्तव्य अपनी तरह का एक आदर्श था क्योंकि कटु द्विपक्षीय मतभेदों का हवाला दिए बिना या उनका संकेत दिए बिना, उन्होंने SCO चार्टर से हमारी तीन मुख्य चिंताओं को उजागर करने की अपील की: आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद. अपने भाषण में, जयशंकर ने उन महान लाभों से संबंधित एक वाक्य जोड़ा जो भारत-पाकिस्तान को छोड़कर, “व्यापार, ऊर्जा प्रवाह, संपर्क और लोगों के बीच आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करने” से प्राप्त होंगे, साथ ही पहले उल्लेखित तीन संकटों को समाप्त करने से, संक्षेप में वह सब कुछ बता दिया जिसे पाकिस्तान के साथ जुड़ाव के पक्ष में हम सभी वर्षों से उजागर करना चाहते थे.’

उन्होंने आगे लिखा ‘पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने भी नाव को हिलाया नहीं. सभी उम्मीदों के विपरीत, जयशंकर ने अपने पाकिस्तानी समकक्ष मुहम्मद इशाक डार के साथ एक रिसेप्शन में संक्षिप्त बातचीत की, जहां सभी मंत्रियों ने एक-दूसरे से अनौपचारिक रूप से बात की. तख्तापलट तब हुआ जब इस प्रारंभिक शिष्टाचार के बदले अगले दिन आधिकारिक लंच में बैठने की व्यवस्था में बदलाव किया गया ताकि पाकिस्तानी विदेश मंत्री और भारतीय विदेश मंत्री के बीच “अनौपचारिक” बातचीत हो सके. लंच के दौरान, करीब एक दशक से ठंडे पड़े रिश्तों में पहली बार बर्फ पिघली: अगले वसंत में पाकिस्तान द्वारा आयोजित की जाने वाली चैंपियनशिप ट्रॉफी के लिए भारतीय क्रिकेट टीम को भेजने पर विचार करने का निर्णय. सच है, जयशंकर के दल ने इस बात पर जोर दिया कि बातचीत “बहुत प्रारंभिक” थी और “इस पर विचार करने की आवश्यकता है” लेकिन जल्दी से कहा, “माहौल अच्छा था”’

बातचीत पर क्या कहा
मणिशंकर ने अपने लेख में लिखा ‘बातचीत न करने से संबंध खराब होते हैं. इसका मतलब यह नहीं है कि हममें से कोई भी यह मानता है कि पाकिस्तान से बात करना बच्चों का खेल होगा. लेकिन हम मानते हैं कि बातचीत ही हमारे और हमारे पड़ोसियों के बीच संबंधों को धीरे-धीरे, अपरिवर्तनीय रूप से (लेकिन, शायद, पूरी तरह से नहीं) सुधारने का एकमात्र रास्ता है. यहाँ तक कि कनाडा और अमेरिका के बीच, 1812-15 के युद्ध के बाद भी, मतभेद हैं. पड़ोसियों के बीच मतभेद होना स्वाभाविक है. मुद्दों के समाधान की दिशा में बातचीत ही कूटनीतिक रास्ता है.’

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