Prashant Kishor News: बिहार में तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद PK के मामले में हर बिहारी बेजोड़ रहा है, यहां PK का …अधिक पढ़ें
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हाइलाइट्स
चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर के लिए आज बड़ा दिन है.प्रशांत किशोर आज बिहार में अपनी पार्टी की शुरुआत करने जा रहे हैं.क्या बिहार के सबसे पिछड़े इलाके सीमांचल में चलेगा PK का जादू?
कटिहार/पटना. कभी राजनीति को प्रोडक्ट और खुद को सेल्समैन मानने वाले प्रशांत किशोर अब राजनेता बनकर बिहार के लोगों की सेवा करना चाहते हैं. अब ऐसे में इन दिनों बिहार के सियासी गलियारे में सबसे बड़ा सवाल है कि क्या बिहार की जनता पर प्रशांत किशोर का प्रभाव चलेगा? दरअसल बिहार में तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद PK के मामले में हर बिहारी बेजोड़ रहा है, यहां PK का मतलब प्रशांत किशोर नहीं पॉलिटिकल नॉलेज है. बिहार के लोगों में PK कूट-कूट कर भरा हुआ है. लेकिन, आज हम एक और PK की चर्चा कर रहे हैं, जिनका नाम है प्रशांत किशोर. दरअसल प्रशांत किशोर आज 2 अक्टूबर को गांधी जयंती के दिन पटना वेटेनरी कॉलेज ग्राउंड में अपने पार्टी की शुरुआत करने जा रहे हैं.
ऐसे में अब प्रशांत किशोर का सामाजिक अभियान राजनीतिक पार्टी में तब्दील हो रहा है. दरअसल 2 मई 2022 को प्रशांत किशोर ने सामाजिक मुहिम के तहत जन सुराज की शुरूआत की थी. बता दें, प्रशांत किशोर के राजनीतिक बैकग्राउंड के से हर कोई वाकिफ है. कल तक दूसरे की चुनाव जिताने का ठेका लेने वाले प्रशांत किशोर अब खुद राजनीति के मैदान में खिलाड़ी के रूप में उतर रहे हैं. बिहार के अलग-अलग क्षेत्र में प्रशांत किशोर की राजनीति को लेकर अलग-अलग चर्चा है. इस बीच इस रिपोर्ट में आज बात बिहार के सबसे पिछड़े इलाका सीमांचल में प्रशांत किशोर के जन सुराज के प्रभाव की बात करते हैं.
समझें सीमांचल का जातिगत समीकरण
कभी कोसी अंचल के रूप में बिहार में पहचान रखने वाले कटिहार, पूर्णिया, किशनगंज और अररिया जिला को वर्तमान में सीमांचल के रूप में जाना जाता है. सीमांचल की अगर जातीय समीकरण की बात करें तो इन चारों जिला में अल्पसंख्यक यानी मुस्लिम समाज के लोग बहुसंख्यक हैं. वहीं हिंदू समाज में बैकवर्ड समाज के लोगों की संख्या अधिक है. इसलिए राजद (RJD) जैसी पार्टी पीके के दबदबा को कम करने के लिए जन सुराज के संस्थापक का पूरा नाम अभी से भी प्रशांत किशोर पांडे बता कर अपनी मंशा साफ करते हुए प्रशांत किशोर को जातीय समीकरण में बांधने की कोशिश कर रही है.
सीमांचल में जन सुराज के लगभग 15 लाख फाउंडर मेंबर
बता दें, 02 में 2022 को पूरे बिहार में जनसुरज की मुहिम शुरु हुई थी, जबकि 16 मई 2022 को पटना शेखपुरा हाउस में कटिहार के 6 लोगों ने प्रशांत किशोर से मुलाकात की थी, जिसमें सत्यनारायण शर्मा, अजय शाह, राजेंद्र वर्मा, कलीमुद्दीन अंसारी, ललन सुल्तानिया, सरदार गुरमीत सिंह शामिल थे. इसके बाद इन लोगों ने खुद को जन सुराज मुहिम से जोड़कर अभियान की शुरुआत की थी. अब कटिहार, पूर्णिया, किशनगंज एवं अररिया में जन सुराज के लगभग 15 लाख फाउंडर मेंबर बन चुके हैं.
PK से जुड़ने के लिए इंग्लैंड से भारत लौटे डॉक्टर
जन सुराज मुहिम की अगुवाई करने वाले कटिहार के सत्यनारायण शर्मा कहते हैं कि 2 अक्टूबर 2022 को प्रशांत किशोर के पद यात्रा में सबसे ज्यादा 400 लोग कटिहार से शामिल हुए थे. ‘सही लोग, सही सोच’ के नारा के साथ प्रशांत किशोर ने जो विजन लोगों के सामने रखा है उसे लगातार और लोग जुड़ते ही जा रहे हैं. हाल के दिनों में कुछ ऐसे लोग भी पार्टी से जुड़े हैं, जो सीमांचल के लिए एक अलग विजन रखते है. इंग्लैंड में पिछले 8 सालों से डॉक्टरी कर रहे डॉक्टर गौतम कुमार पिछले कुछ सालों से जन सुराज के संपर्क में थे और अब वह अपने वतन लौट कर पूरी तरह जन सूराज के लिए समय देंगे.
PK पर विरोधियों का बड़ा हमला
यह चर्चा इसलिए जरूरी है कि बिहार के सीमांचल इलाके मे तमाम संसाधनों की क्राइसिस के बावजूद अगर इस लेवल के लोग आकर इस पार्टी से जुड़ रहे हैं तो निश्चित तौर पर इस पार्टी को लेकर कोई तो बात है जिसे आगे जन सुरज को साबित करना होगा. हालांकि प्रशांत किशोर के विरोधियों का कहना है कि पार्टी बनने के बाद विधानसभा चुनाव में टिकट बंटवारे के बाद ही जनसुराज का बंटाधार तय है, जहां तक जन सुराज पार्टी की पॉलिटिकल मार्केटिंग स्टेटजी की बात है तो सिर्फ कटिहार की लिए हीं आईपैक टीम के 70 सदस्य पिछले कई महीनों से सिर्फ कटिहार के लिये काम कर रहे हैं.
अपने आप को किस तरह साबित करेंगे PK?
ऐसे में कॉरपोरेट स्टाइल की यह पार्टी जमीन पर अपने आप को किस तरह साबित कर पाएंगे. इस पर भी बड़ा चुनौती बना हुआ है. हाल के दिनों में सीमांचल मैं प्रशांत किशोर की यात्रा के बाद प्रशांत किशोर के लोग भी दबे जुबान से यह कहने लगे कि अब भीड़ को आते देख प्रशांत किशोर अभी से अपने आप को अघोषित सीएम समझने लगे हैं. ऐसे में भीड़ लाना और भीड़ को अपने पक्ष मे वोट में तब्दील करना भी जन सुराज के लिए बड़ा चुनौती साबित हो सकता है, जहां तक बात सीमांचल में प्रशांत किशोर की है तो पड़ोसी राज्य बंगाल और झारखंड के साथ-साथ पड़ोसी देश नेपाल से सेट यह इलाका समरीक की दृष्टि से भी काफी सेंसिटिव है. ऐसे में अगर यहां के मुद्दा गौ तस्करी, लव जिहाद, बाढ़ कटाव और विस्थापित के साथ साथ हिन्दू मुस्लिम वाले मामलो मे क्लियर मैसेज नहीं दे पाते हैं तो उन पर भी इस पक्ष या उस पक्ष को नाराज कर सकता है.
BJP-JDU और RJD सभी के लिए चुनौती
निश्चित तौर जन सूराज के रूप मे पूरे बिहार के साथ-साथ सीमांचल के लोगों को राजनीति में एक नया विकल्प जरूर मिल रहा है. लेकिन, प्रशांत किशोर बिहार के राजनीति मे वर्षो से पक्ष-विपक्ष के रूप मे स्थापित कर चुके पार्टियों के बीच अपने पार्टी जनसुराज को सीमांचल के लोगों के बीच कैसे बेहतर साबित कर पाएंगे यह तो वक्त ही बता पाएगा. फिलहाल प्रदेश भर में राजद भले ही जन सुराज को भाजपा B टीम कहकर लोगों की भ्रमित करने की कोशिश करें लेकिन सीमांचल में प्रशांत किशोर भाजपा के लिए भी खतरे से ज्यादा खतरनाक साबित हो सकता है. हालांकि पूर्व डिप्टी सीएम तार किशोर प्रसाद कहते हैं कि भाजपा के कैडेर बेस पार्टी है और विकास के मुद्दे पर भाजपा-जदयू गठबंधन बेहतर काम किया है, इसलिए सीमांचल में अब जन सुराज जैसी पार्टी की कोई प्रभाव नहीं होने वाला है.