इस हिमालयी राज्य पर मंडरा रहा बड़े भूकंप का खतरा! एक्सपर्ट ने दी चेतावनी, पढ़ें पूरी ख़बर

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हिमालय का निर्माण इंडियन प्लेट और यूरेशियन प्लेट के टक्कराने से हुआ है. वर्तमान समय में इंडियन प्लेट धीरे-धीरे यूरेशियन …अधिक पढ़ें

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देहरादून : भूकंप के लिहाज से उत्तराखंड बेहद संवेदनशील है. राज्य को भूकंप की दृष्टि से जोन-4 और 5 में रखा गया है. 1991 और 1999 क्रमश: उत्तरकाशी और चमोली बड़े भूकंपों की त्रासदी झेल चुका है. हाल ही में राजधानी देहरादून समेत आस-पास के इलाके में हल्के भूकंप के झटकों ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है. लंबे समय से हिमालयी राज्य में कोई बड़ा भूकंप नहीं आया है हालांकि कई बार हल्के झटके महसूस किए गए है, जिसको लेकर भूवैज्ञानिकों के माथे पर भी शिकन दिखाई दे रही है. ऐसे में चिंतित होना लाज़मी है कि क्या राज्य में लगातार आ रहे हल्के झटके एक बड़े भूकंप को दस्तक दे रहा है? और राज्य में आखिर नए भूकंप केंद्र क्यों बन रहे हैं? ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब जाने के लिए न्यूज 18 लोकल ने वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन के पूर्व भू-वैज्ञानिक डॉ. अजय पॉल से बातचीत की.

लोकल18 से बातचीत के दौरान पूर्व भू-वैज्ञानिक डॉ. अजय पॉल ने भूकंप आने के कारणों को साझा किया. उन्होंने कहा कि पृथ्वी की सतह कई प्लेट्स से मिलकर बनी है. हिमालय का निर्माण इंडियन प्लेट और यूरेशियन प्लेट के टक्कराने से हुआ है. वर्तमान समय में इंडियन प्लेट धीरे-धीरे यूरेशियन प्लेट के नीचे खिसक रही है, जो ऊर्जा संचय (Energy Accumulation) का कारण होता है. सतह के नीचे मौजूद चट्टाने इस ऊर्जा को संजोए नहीं रख पाती है, जिसके चलते वो टूट जाती है. सतह के नीचे ऊर्जा का तेज़ी से निकला ही भूकंप कहलाता है.

उत्तराखंड में बड़े भूकंप की आशंका
डॉ. अजय पॉल बताते हैं कि विज्ञान अभी इतना विकसित नहीं हो पाया है कि भूकंप की सटीक भविष्यवाणी की जा सके. हालांकि भूवैज्ञानिक इस क्षेत्र में काम कर रहे हैं. बिहार, हिमाचल प्रदेश औऱ उत्तराखंड राज्य उस भू-भाग पर हैं, जिसके बीच में ऊर्जा एकत्रित है, जो भूकंप के रूप में कभी भी निकल सकती है. उत्तराखंड में 2,3 या 4 मैग्नीट्यूड का भूकंप आता रहा है. डॉ. अजय पॉल ने कहा कि कुछ समय पहले राजधानी देहरादून में एक हल्के झटके का भूकंप महसूस किया गया था. हालांकि इससे बड़ा जानमाल का नुकसान नहीं हुआ। लेकिन यह एक बड़ा संकेत है कि लोग या प्रशासन आगे के लिए सजग और तैयार रहें. उत्तराखंड भूकंप के लिहाज़ से अति संवेदनशील (जोन-4 और जोन-5) है. इसका मतलब यहां हमेशा एक बड़े भूकंप की आशंका बनी रहती है.

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नहीं रोका जा सकता भूकंप
डॉ. अजय पॉल बताते हैं कि भूकंप को लेकर लोगों के ज़हन में डर बना हुआा है. भूकंप में ज्यादा जानमाल का नुकसान न हो सके इसके लिए लोगों को मॉकड्रिल के जरिए जागरुक करना होगा. साथ ही, जापान के तर्ज पर भूकंपरोधी मकानों का निर्माण किया जाए. भूकंप आने पर लोग शांति बनाए रखें. डॉ. अजय पॉल बताते हैं कि कई ऐसे इलाके हैं, जहां भूकंप आते ही रहते हैं. पृथ्वी की सतह के नीचे ऊर्जा का निकलना और प्लेट्स का हिलना नेचुरल प्रोसेस है. इसको रोका नहीं जा सकता है. भूकंप आना प्राकृतिक है, इससे बचने के लिए हम कई तरह के उपाय कर सकते हैं.

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