भरतपुर : राजस्थान के भरतपुर में साइबर अपराध पर नकेल कसने के लिए पुलिस ने बड़ी सर्जिकल स्ट्राइक की है. न्यूज़ 18 इंडिया ने पहली बार उसी स्ट्राइक की एक-एक तस्वीर सामने पेश की है. पुलिस ने इस रेड को ऑपरेशन ऐन्टी वायरस नाम दिया है. साईबर ठगों के खिलाफ ऑपरेशन एंटी वायरस में बड़ी पुलिस रेड को न्यूज18 इंडिया के कैमरे पर लाइव लाया गया. कैमरे पर साइबर ठगों ने बताया कि वह कैसे कर रहे हैं साईबर ठगी और सैक्टोर्शन. सायबर ठगी और सैक्सटॉर्शन को लेकर बीते कई दिनों से राजस्थान का मेवात इलाक़ा बदनाम हो रहा है. सरकार को लगातार इस अपराध से जुड़ी शिकायतें मिल रही थीं. इसलिए सायबर अपराधियों के नैक्सस को ध्वस्त करने के लिए सीएम भजनलाल शर्मा ने भरतपुर रेंज के आईजी राहुल प्रकाश को ज़िम्मेदारी सौंप दी.
हरियाणा और उत्तर पूर्वी राजस्थान का मेवात इलाका ऐसे अपराधों का एपिसेंटर माना जाता है. राजस्थान के भरतपुर जिले का डीग भी इसी इलाके में आता है. यहां से आए सायबर ठगी के आंकड़े बेहद चौंकाने वाले हैं. दावा किया जाता है कि इस इलाके से सायबर ठगों ने दुनियाभर से अब तक 7 हज़ार करोड़ से ज़्यादा की ठगी की है.
यही वजह थी कि भरतपुर पुलिस ने ऑपरेशन एंटी वायरस की शुरुआत कर दी. इस बार आईजी राहुल प्रकाश को डीग के पहाड़ी थाना इलाक़े से शिक़ायत मिली. मोबाइल की लोकेशन को ट्रेस करते हुए छापेमारी के लिए दो टीमें बनाई गईं. एक टीम जीप में रवाना हुई, तो दूसरी बाइक पर.
अब टीम पहाड़ी से दस किलोमीटर दूर भौंरी गांव पहुंच गई, यहां ठगों की तलाशी के लिए घेरेबंदी शुरू कर दी गई. दो मंजिला मकान का चप्पा-चप्पा छाना गया और आखिरकार कुछ घरों की तलाशी के बाद चार साइबर ठगों को धर दबोचा गया. इन्हीं में से एक शाकिब था, जिसने बताया कि कैसे वो अपनी टीम के साथ लोगों को अपने जाल में फंसाता था.
पहाड़ी थाने के सब इंस्पेक्टर मुकेश समझाते हुए कहा कि साईबर ठग शाकिब और उसके साथी इस क़ॉल सेंटर पर कैसे ड्रीम इलेवन गेम से ठगी करते थे. अब इन आरोपियों से सख़्ती से पूछताछ की जाएगी, जिसके बाद ये पता चलेगा कि इस फर्जीवाड़े से इन लोगों ने कितने मासूमों को अपने जाल में फंसाया है.
दरअसल इन साइबर ठगों के अलग अलग गैंग हैं. कुछ गैंग पश्चिम बंगाल, असम, और दक्षिण भारत से फर्जी सिम खरीद कर लाते हैं तो कुछ गैंग पैसे निकालने के लिए ATM और स्वाइप मशीनों का बंदोबस्त करते हैं, जिनसे इस गोरखधंधे को आसान किया जाता है, लेकिन इस सायबर ठगी में सबसे कुख्यात सैक्सटॉर्शन गैंग को माना जाता है. ये गैंग विडियो चैट, वॉट्सएप और फ़ेसबुक जैसे सोशल मीडिया नेटवर्क से लोगों को अपना शिकार बनाता है.
सैक्सटॉर्शन के ये मामले इतने गंभीर होते हैं कि न तो इसमें पीड़ित अपने परिवार को कुछ बता पाता है और न पुलिस तक पहुंच पाता है, जिसका नतीजा कई बार खुदकुशी तक पहुंच जाता है.
ऑपरेशन एन्टी वायरस के ज़रिए अब तक 400 सायबर ठगों को गिरफ़्तार किया जा चुका है. ख़ास बात ये कि इस धंधे को सायबर ठग बेहद व्यवस्थित रूप से चलाते हैं.
इनके घरों में नोट गिनने की मशीनें है और मिनी ATM तक लगे हैं. चौंकाने वाली बात ये भी है कि इसमें ATM कंपनियों की भी मिलीभगत सामने आई है. दावा तो ये भी किया जाता है कि मेवात के इन सायबर ठगों ने जयपुर और दिल्ली जैसे महानगरों में कोठियां और बड़े-बड़े फ़्लैट खरीद रखे हैं, लेकिन जब से ऑपरेशन एंटी वायरस शुरू किया गया है, तब से सायबर अपराध में 55 फ़ीसदी की कमी भी दर्ज की गई है.
कभी मेवात इलाक़ा टटलू गैंग के लिए बदनाम हुआ करता था. बीते एक दशक में ये सायबर ठगी का केंद्र बन गया, लेकिन ऑपरेशन एंटी वायरस ने इन अपराधियों को अच्छा सबक सिखाया है. यही वजह है कि जंगलों और दूरदराज़ के इलाक़ों में इस गोरखधंधे को छिप-छिपकर चलाया जा रहा है. पहले इलाके के ग्रामीण मोटी कमाई के लालच में इन अपराधियों की ढाल बन जाते थे, लेकिन पुलिस की लगातार दबिश और धरपकड़ की वजह से ग्रामीणों ने भी अब इन अपराधियों से किनारा कर लिया है. ऑपरेशन ऐन्टी वायरस का असर ही कहा जा सकता है कि आए दिन सायबर ठगों को गिरफ़्तार किया जा रहा है.