Maharashtra Crime News: पहले दिन तो वह घर से टीवी सहित कई चीजें चुरा लाया. एक कमरे में वह घुस नहीं सका. अगले दिन मौका प …अधिक पढ़ें
- भाषा
- LAST UPDATED : JULY 16, 2024, 13:43 IST
- Join our Channel
- EDITED BY :श्रीराम शर्मा
संबंधित खबरें
- MBBS के 5 स्टूडेंट्स ने मिल्क वैन को रोका, ड्राइवर को कहा- नीचे उतरो…फिर…
- जीतन सहनी के घर में कौन-कौन रहता था?SIT प्रमुख काम्या मिश्रा ने दी अहम जानकारी
- आइए ना हमरा बिहार में, ठोक देंगे गोली कपार में…मातम में बदल गई शादी की खुशी
- IAS पूजा खेडकर पर नई मुसीबत, घर पर चलेगा बुलडोजर! अतिक्रमण पर मिला नोटिस मगर..
चोर चोरी करने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है. ऐसा कम ही होता है कि चोर के पकड़े जाने पर चोरी का सामान बरामद कर लिया जाए. लेकिन इस चोर को क्या कहेंगे कि उसने बिना पकड़े ही चोरी का सामान ससम्मान वापस कर दिया और इस चोरी के लिए माफी भी मांगी. एक चोर को उस समय पछतावा हुआ जब उसे पता चला कि उसने एक प्रसिद्ध मराठी लेखक के घर से कीमती सामान चुराया है. पश्चाताप करते हुए चोर ने चुराया गया सामान लौटा दिया. सोशल मीडिया पर यह अनोखी चोरी खूब वायरल हो रही है.
पुलिस ने बताया कि चोर ने रायगढ़ जिले के नेरल में स्थित नारायण सुर्वे के घर से एलईडी टीवी समेत कीमती सामान चुराया था.
मुंबई में जन्मे सुर्वे एक प्रसिद्ध मराठी कवि और सामाजिक कार्यकर्ता थे. अपनी कविताओं में शहरी मजदूर वर्ग के संघर्षों को स्पष्ट रूप से दर्शाने वाले सुर्वे का 16 अगस्त, 2010 को 84 वर्ष की उम्र में निधन हो गया था. नारायण सुर्वे की बेटी सुजाता और उनके पति गणेश घारे अब इस घर में रहते हैं. वह अपने बेटे के पास विरार गए थे और उनका घर 10 दिनों से बंद था.
इसी दौरान चोर घर में घुसा और एलईडी टीवी समेत कुछ सामान चुरा ले गया. अगले दिन जब वह कुछ और सामान चुराने आया तो उसने एक कमरे में नारायण सुर्वे की तस्वीर और उन्हें मिले सम्मान आदि देखे. यह देखकर चोर को बेहद पछतावा हुआ.
उसे अपनी इस चोरी पर बड़ा पछतावा हुआ. पश्चाताप स्वरूप उसने चुराया गया सामान लौटा दिया. इतना ही नहीं, चोर ने दीवार पर एक छोटा सा ‘नोट’ चिपकाया, जिसमें उसने महान साहित्यकार के घर चोरी करने के लिए मालिक से माफी मांगी.
नेरल पुलिस थाने के निरीक्षक शिवाजी धवले ने बताया कि सुजाता और उनके पति जब रविवार को विरार से लौटे तो उन्हें यह ‘नोट’ मिला. उन्होंने बताया कि पुलिस टीवी और अन्य वस्तुओं पर मिले उंगलियों के निशान के आधार पर आगे की जांच कर रही है.
सोशल मीडिया पर इस चोर को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं. कोई कह रहा है कि वह एक साहित्यिक चोर था. एक यूजर लिखते हैं कि चोर कोई साहित्यिक का स्टूडेंट होगा और पार्ट टाइम चोरी करता होगा.
बचपन में माता-पिता को खो चुके नारायण सुर्वे मुंबई की सड़कों पर पले-बढ़े थे. उन्होंने घरेलू सहायक, होटल में बर्तन साफ करने, बच्चों की देखभाल करने, पालतू कुत्तों की देखभाल, दूध पहुंचाने, कुली और मिल मजदूर के रूप में काम किया था. अपनी कविताओं के माध्यम से सुर्वे ने श्रमिकों के संघर्ष को बताने का प्रयास किया. वर्ष 1966 में सुर्वे की पहली पुस्तक “माझे विद्यापीठ” (मेरा विश्वविद्यालय) प्रकाशित हुई थी. वर्ष 1998 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया.