Ajmer News : स्मार्ट सिटी अजमेर में हुई भारी बारिश ने लोगों का चैन छीन लिया है. बाढ़ जैसे हालात से जूझ रहे अजमेर में क …अधिक पढ़ें
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अशोक सिंह भाटी.
अजमेर. राजस्थान की स्मार्ट सिटी अजमेर शहर की बीते करीब एक सप्ताह से सूरत बिगड़ी हुई है. लगातार हो रही भारी बारिश के कारण पूरा शहर तलैया बना हुआ है. ड्रेनेज सिस्टम की हवा निकली हुई है. स्कूल बार-बार बंद हो रहे हैं. रास्ते जाम हैं. थड़ी ठेलों वाले बेरोजगार हो गए. उनके सामने दो जून की रोटी का संकट मंडरा रहा है. प्रशासन गली-गली कूंचे-कूंचे में पानी निकालने की मोटरें लेकर दौड़ रहा है. कहीं सड़क पर कटाव हो रखा है तो कहीं घरों, दुकानों और अस्पतालों में पानी भरा हुआ है. दिल को सुकून पहुंचाने वाली आना सागर झील अब दर्द दे रही है.
देश दुनिया में ख्वाजा की नगरी के नाम से प्रसिद्ध अजमेर बीते करीब एक सप्ताह से भारी बारिश के कारण हाल बेहाल है. अजमेर में उत्तर से लेकर दक्षिण तक और पूरब से लेकर पश्चिम तक पानी ही पानी नजर आ रहा है. एक सप्ताह पहले हुई तेज बारिश का असर आज तक देखा जा सकता है. जिले में अब तक 900 एमएम बारिश दर्ज की जा चुकी है. इसके कारण शहर की फाई सागर झील और आनासागर झील ओवरफ्लो चल रही है. हालात के चलते सेना की टुकड़ी भी आकर मुआयना कर चुकी है. कई लोग पानी में बहकर अपनी जान गवां चुके हैं.
ब्रह्मपुरी, शिवपुरी, नगरा अलवर गेट इलाके के सबसे बुरे हाल
इनका पानी बांडी नदी और एस्केप चैनल के जरिए छोड़ा जा रहा है. इसके चलते शहर की विभिन्न कॉलोनियां और लोग प्रभावित हो रहे हैं. सबसे ज्यादा हालत बुरी ब्रह्मपुरी, शिवपुरी, नगरा अलवर गेट और रामनगर मोती विहार इलाके का है. वहां बारिश का पानी अभी भी लोगों को परेशान कर रहा है. यह पानी कई घरों के अंदर तक पहुंच चुका है. कहने को तो प्रशासन आमजन को राहत देने के लिए भागदौड़ कर रहा है लेकिन वह भी बेबस हो चुका है. सुरेश माथुर कहते हैं कि सब कुछ भगवान भरोसे है.
लोग कर रहे हैं राहत का इंतजार
ब्रह्मपुरी और शिवपुरी इलाके में रहने वाले रोहित यादव ने बताया कि एस्केप चैनल के जरिये छोड़ा जा रहा पानी बीते पांच सितंबर से लगातार घरों तक पहुंच रहा है. आज हालात कुछ सामान्य हुए हैं. लेकिन गली और मुख्य मार्ग पर डेढ़ से 2 फीट का पानी आज भी जमा है. परेशानी लंबे समय से बनी हुई है. लोगों का कहना है कि प्रशासनिक स्तर पर कोई समाधान नहीं किया जा रहा. केवल दावे किए जा रहे हैं. न तो यहां कोई राहत सामग्री पहुंचाई जा रही है और नहीं अन्य व्यवस्थाओं को लेकर देखरेख की जा रही है.