Rahul Gandhi White T-Shirt : राहुल गांधी बिहार में व्हाइट टीशर्ट मूवमेंट (White T-Shirt Movement) को नई धार देने में जुट गए हैं. आखिर व्हाइट टीशर्ट मूवमेंट है क्या? बिहार चुनाव से पहले इसका क्या मतलब?

हाइलाइट्स
- राहुल गांधी बिहार के बेगुसराय जाएंगे, ‘पलायन रोको नौकरी दो’ यात्रा में शामिल होंगे.
- कांग्रेस जनवरी 2025 से व्हाइट टीशर्ट मूवमेंट चला रही है, जानिए इसका मतलब.
- सोशल मीडिया में भी कांग्रेस की बड़ी मुहिम, वोटरों तक पहुंचने का मकसद.
बिहार का चुनावी संग्राम शुरू करने के लिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी 7 अप्रैल को बेगुसराय जा रहे हैं. वह कांग्रेस की ‘पलायन रोको, नौकरी दो’ यात्रा में शामिल होंगे. इस यात्रा का मकसद युवाओं के बीच कांग्रेस की पैठ बनाना है. लेकिन अपने ट्वीट में राहुल गांधी ने लिखा, आप भी White T-Shirt पहन कर आइए, सवाल पूछिए, आवाज उठाइए- सरकार पर आपके अधिकारों के लिए दबाव बनाने के लिए, उसे हटाने के लिए. इसके साथ उन्होंने एक लिंक भी http://whitetshirt.in शेयर किया. आखिर राहुल गांधी सिर्फ सफेद टीशर्ट पहनकर आने को क्यों कह रहे हैं? क्या है ‘व्हाइट टीशर्ट मूवमेंट’?
सफेद टीशर्ट आजादी की लड़ाई से लेकर आज तक आंदोलनों का अहम हिस्सा रहा है. महात्मा गांधी की सफेद खादी की धोती और कुर्ता न सिर्फ सादगी का प्रतीक थी, बल्कि स्वदेशी आंदोलन की पहचान भी थी. गांधीजी कहते थे कि सफेद रंग शुद्धता और अहिंसा का संदेश देता है. 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में भी सफेद कपड़ों में कार्यकर्ता सड़कों पर उतरे थे, जो ब्रिटिश शासन के खिलाफ एकजुटता का प्रतीक बन गया. तब यह सस्ता और आसानी से मिल जाता था.
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कांग्रेस ने कैसे बनाई मुहिम
हाल के वर्षों में, नेताओं ने इसे अपना लिया. वे हर आंदोलन में ऐसे ही कपड़े पहनकर आते हैं. मगर इसी साल जनवरी में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इसे लेकर एक बड़ी मुहिम शुरू कर दी है…’व्हाइट टीशर्ट मूवमेंट’. इसका मकसद देश के गरीबों और मेहनतकश वर्ग तक पहुंचना. उनके अधिकारों के लिए लड़ना है. राहुल गांधी ने खुद सफेद टीशर्ट को अपनी पहचान बनाया. वे हमेशा इसी कपड़े में नजर आने लगे हैं. एक इंटरव्यू में राहुल गांधी ने कहा था, सफेद टीशर्ट हमें दृढ़ता और सेवा के लिए प्रेरित करती है. यह आजादी के आंदोलन की याद दिलाती है और अन्याय के खिलाफ लड़ने की ऊर्जा देती है.
क्यों सफेद टीशर्ट?
सफेद टीशर्ट का चुनाव महज संयोग नहीं है. टीशर्ट सस्ती होती है, आसानी से कहीं भी मिल जाती है और किसी के लिए भी इसे खरीदना बड़ा टास्क नहीं है. सबसे खास बात, इसे मजदूर से लेकर छात्र तक हर कोई पहन सकता है. साइंटिफिक तौर पर देखें तो इसका मनोवैज्ञानिक प्रभाव भी है. यह एकता और शांति का संदेश देता है, जो किसी भी आंदोलन के लिए जरूरी है. आपको अन्ना हजारे का ‘करप्शन फ्री मूवमेंट'(2011) याद होगा, जिसमें सफेद टोपी और सफेद कुर्ता पहचान बन गया था.
राहुल गांधी ने कुछ दिनों पहले कपड़ा व्यापारियों से मुलाकात की थी.
सोशल मीडिया से सड़क तक गूंज
कांग्रेस का दावा है कि मोदी सरकार ने चंद पूंजीपतियों के लिए काम किया है, मजदूरों और गरीबों की हालत बदतर हुई है. इस मूवमेंट के तहत रैलियां निकाली जा रही हैं. सोशल मीडिया पर मुहिम चलाई जा रही है. कई जगह प्रदर्शन हो रहे हैं. लोग सफेद टीशर्ट पहनकर सड़कों पर उतर रहे हैं, जिसे ‘व्हाइट टीशर्ट आर्मी’ का नाम दिया गया है. सोशल मीडिया पर भी यह अभियान जोर पकड़ रहा है. #WhiteTshirtMovement और #WhiteTshirtArmy जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं. कार्यकर्ता इसे आजादी के आंदोलन से जोड़ते हुए कहते हैं कि जैसे तब खादी ने लोगों को एकजुट किया था, वैसे ही आज सफेद टीशर्ट एक नई क्रांति का प्रतीक बन रही है.