Murshidabad Violence News: पश्चिम बंगाल वक्फ संशोधन कानून के विरोध का केंद्र बन चुका है. मुर्शिदाबाद के बाद अब साउथ 24 परगना जिले में भी हिंसा की आग फैल चुकी है. इस बीच, खुफिया एजेंसियों को चौंकाने वाली बात का…और पढ़ें

हाइलाइट्स
- मुर्शिदाबाद हिंसा में खुफिया एजेंसियों को चौंकाने वाले फैक्ट्स मिले हैं
- सीएए के दौरान हुए हिंसक विरोध-प्रदर्शन की तर्ज पर मुर्शिदाबाद हिंसा
- पश्चिम बंगाल के साउथ 24 परगना में भी हिंसा की आग फैल गई है
नई दिल्ली. वक्फ संशोधन कानून अमल में आ चुका है. इसके साथ ही विरोध प्रदर्शन का सिलसिला भी चल पड़ा है. पश्चिम बंगाल हिंसक विरोध प्रदर्शन का केंद्र बना हुआ है. मुर्शिदाबाद में हिंसा का तांडव अभी शांत ही हुआ था कि प्रदेश के एक और जिले में हिंसा की आग फैल चुकी है. साउथ 24 परगना के भांगर इलाके में वक्फ संशोधन कानून को लेकर शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया. पुलिसवालों पर उन्मादी भीड़ ने हमला कर दिया. पुलिस वाहनों को भी आग के हवाले कर दिया गया. वक्फ संशोधन कानून के विरोध में पश्चिम बंगाल में जारी हिंसा को लेकर इंटेलिजेंस एजेंसियों को चौंकाने वाले इनपुट मिले हैं. खुफिया एजेंसियों का कहना है कि वक्फ संशोधन कानून के विरोध में फैली हिंसा का पैटर्न साल 2019 में CAA के खिलाफ हुए हिंसक प्रदर्शनों की तरह है. मुर्शिदाबाद में हिंसा फैलाने के लिए उसी टूकिट का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसका प्रयोग सीएए के खिलाफ हुए विरोध-प्रदर्शनों में किया गया था.
सोमवार को पश्चिम बंगाल के एक अन्य जिले में तनाव बढ़ गया. वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रही भीड़ अचानक से उन्मादी हो गई और पुलिस पर ही हमला कर दिया. अब खुफिया सूत्रों ने पाया है कि वक्फ के खिलाफ जारी हिंसक विरोध प्रदर्शन साल 2019 में पूरे भारत में सीएए के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शनों के समान ही हैं. सूत्रों की मानें तो वक्फ विरोध प्रदर्शनों में एक समान टूलकिट है. टेलीग्राम, सिग्नल और व्हाट्सएप जैसे मैसेजिंग ऐप का इस्तेमाल विरोध प्रदर्शन आयोजित करने, जिम्मेदारी बांटने और रियल टाइम निर्देश शेयर करने के लिए किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इन प्लेटफ़ॉर्म पर एन्क्रिप्टेड समूहों का इस्तेमाल पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में पुलिस स्टेशनों पर कोऑर्डिनेटेड अटैक्स को अंजाम देने के लिए किया गया था.
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साल अलग, तस्वीरें मिलती-जुलती
सूत्रों ने बताया कि नाकाबंदी, रेलवे के बुनियादी ढांचे पर हमले और सांप्रदायिक नारे CAA विरोध प्रदर्शनों की पहचान थे. अब वक्फ संशोधन कानून के विरोध के दौरान भी यही स्थिति है. उन्होंने कहा कि प्रदर्शनकारी पत्थर, पेट्रोल बम, टायर और बांस के डंडे आदि का इस्तेमाल कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि सीएए विरोध प्रदर्शन के दौरान हावड़ा में रेलवे पटरियों के पास पत्थरों का जखीरा छिपाया गया था. वक्फ का विरोध करने के दौरान अब एक बार फिर से वैसी ही तस्वीर दिख रही है. सूत्रों ने आगे बताया कि प्रदर्शनकारी हिंदुओं की दुकानों, पुलिस स्टेशनों और रेलवे के बुनियादी ढांचे को निशाना बना रहे हैं. ये सब सांप्रदायिक तनाव को बढ़ाने और मीडिया का ध्यान आकर्षित करने के लिए किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि पुलिस की बर्बरता के पुराने क्लिप के साथ छेड़छाड़ किए गए वीडियो को मौजूदा अत्याचार के रूप में फिर से पेश किया जा रहा है, ताकि गुस्सा भड़काया जा सके. उन्होंने बताया कि 2024 के एक वीडियो क्लिप का गलत तरीके से इस्तेमाल कर दावा किया जा रहा है कि पुलिस ने नमाज़ में शामिल लोगों पर गोलियां चलाईं. यह क्लिप वायरल हो गया, जिससे मालदा में दंगे भड़क गए.
विदेशी हाथ से इनकार नहीं
सूत्रों ने विदेशी हस्तक्षेप से इनकार नहीं किया है और कहा है कि जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) और हरकत-उल-जिहाद-अल-इस्लामी (हूजी) जैसे समूह बांग्लादेश बॉर्डर से लगते इलाकों और सुंदरबन डेल्टा में हथियारों की आपूर्ति कर रहे हैं. ये आतंकी संगठन ट्रेनिंग देने के साथ ही प्रोपेगेंडा भी फैला रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि अंतरराष्ट्रीय संगठन अशांति को बढ़ाने के लिए वैश्विक मीडिया का उपयोग कर रहे हैं और दहशत फैलाने के लिए अफ़वाह फैलाने में मदद कर रहे हैं. यह उसी तरह है जैसे सीएए विरोध प्रदर्शनों के दौरान एनआरसी को मुसलमानों की नागरिकता छीनने के रूप में प्रचारित किया गया था. उन्होंने कहा कि विरोध प्रदर्शनों के दौरान हिरासत में लिए गए या गिरफ्तार किए गए लोगों को भी नायक के रूप में महिमामंडित किया जा रहा है.