Beef Ban: असम सरकार ने राज्य में बीफ बैन कर दिया है. सार्वजनिक जगहों और समारोहों में इसे बनाना और खाना दोनों प्रतिबंधित …अधिक पढ़ें
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हाइलाइट्स
नार्थईस्ट के ज्यादातर राज्यों में बीफ खाया जाता हैअसम की करीब 40 फीसदी आबादी इसे खाती हैआदिवासियों के त्योहारों में इसे खाने की परंपरा रही है
असम की हिमंता बिस्वा सरमा की सरकार ने पूरे राज्य में बीफ पर बैन लगा दिया है. अब राज्य में किसी भी होटल, रेस्टोरेंट या पब्लिक प्लेस पर बीफ नहीं परोसा जाएगा. हालांकि इसे लेकर कुछ असमंजस की भी स्थिति है. ये बैन सार्वजनिक जगहों और समारोहों में बीफ सेवन पर तो प्रतिबंध लगाता है लेकिन घर पर इसके उपभोग पर चुप है.
असम में बीफ का सेवन मुख्य रूप से धार्मिक, सांस्कृतिक और पारंपरिक पृष्ठभूमि पर निर्भर करता है. ये राज्य विविध समुदायों, धर्मों और जातीय समूहों का घर है, जिनमें से कुछ बीफ का सेवन करते हैं जबकि अन्य इससे परहेज करते हैं.
सवाल – असम में बीफ का सेवन करने वाले समुदाय कौन से हैं?
– असम में मुसलमान बीफ का सेवन करते हैं, जो उनकी धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा का हिस्सा है. ईसाई समुदाय भी इसका सेवन करते हैं, खासकर उत्तर-पूर्व के आदिवासी समूह, जैसे – नागा, मिजो, और खासी. असम के कई आदिवासी समूह जैसे बोडो, डिमासा, और कार्बी, पारंपरिक रूप से बीफ खाते हैं. यह उनकी खानपान संस्कृति में हमेशा से है.
सवाल – क्या असम के आदिवासियों में बीफ त्योहारों और सामाजिक आयोजन का हिस्सा है?
– हां, असम के आदिवासी समुदायों में बीफ पारंपरिक त्योहारों और सामाजिक आयोजनों का हिस्सा है. मुसलमानों में ईद और अन्य धार्मिक अवसरों पर बीफ का उपयोग सामान्य है. उत्तर-पूर्वी राज्यों की खाद्य संस्कृति मांसाहारी भोजन पर आधारित है, जिसमें बीफ भी शामिल है.
सवाल – असम में गाय के वध को लेकर तीन साल पहले भी एक कानून लाया गया था, ये क्या है?
– असम में 2021 में लागू किए गए असम पशु संरक्षण अधिनियम के तहत गायों के वध पर प्रतिबंध है. बैल और सांड को भी तभी मारा जा सकता है जब वे 14 साल से अधिक उम्र के हों या काम करने योग्य न हों. बीफ की बिक्री या परिवहन उन क्षेत्रों में प्रतिबंधित है जहां गैर-बीफ खाने वाले समुदाय बहुसंख्यक हैं.
एक अनुमान के अनुसार, असम की लगभग 35-40% जनसंख्या बीफ खाती है.
सवाल – क्या असम में पुराने कानून और नए नोटिफिकेशन के बाद बीफ को घर पर खा सकते हैं?
– घर में बीफ का सेवन कानून के तहत वैध है. इसे घर पर बना और खा सकते हैं. हालांकि इस बैन से असम के आदिवासियों में नाराजगी फैल सकती है, जो अपने कई त्योहारों और परंपरागत समारोहों में इसका सामूहिक तौर पर सेवन करते रहे हैं.
सवाल – अगर असम में गाय वध कानूनी तौर पर नहीं हो सकता, तो अब तक यहां बीफ कहां से आता था और घर के उपयोग के लिए कहां से आएगा?
– असम में गायों का वध पूरी तरह से अवैध है. गायों की किसी भी उम्र में हत्या या उनका मांस बेचना असम में कानून के तहत प्रतिबंधित है. अलबत्ता 14 साल से अधिक उम्र के बैल और सांड के वध की स्लाटर हाउस में वध संबंधित अधिकारी से प्रमाण पत्र (Veterinary Certificate) के बाद हो सकता है. असम में बीफ मुख्य रूप से स्थानीय स्रोतों और बाहरी राज्यों से आता है.
पश्चिम बंगाल में गायों के वध पर सख्त प्रतिबंध नहीं है. बीफ का व्यापार यहां वैध है. असम में बीफ की आपूर्ति का बड़ा हिस्सा पश्चिम बंगाल से आता था. असम के आसपास के इलाकों विशेष रूप से मेघालय के सीमावर्ती क्षेत्रों (शिलांग आदि) से भी बीफ की आपूर्ति होती थी. अवैध तस्करी के माध्यम से भी कुछ हद तक बांग्लादेश से बीफ और मवेशियों की आपूर्ति असम में की जाती थी. असम के आदिवासी इलाकों और ग्रामीण बाजारों में पारंपरिक रूप से बीफ की बिक्री होती रही है. अलबत्ता असम सरकार का ताजा कानून ये स्पष्ट नहीं करता कि अगर आप घर में इसका सेवन कर रहे हैं तो आएगा कहां से. आदिवासी, मुस्लिम और ईसाई इसे कहां से लाएंगे और खाएंगे.
सवाल – असम में बीफ सेवन का आंकड़ा क्या है?
– असम में बीफ सेवन करने वालों की संख्या का सटीक आंकड़ा उपलब्ध नहीं है, लेकिन मुस्लिम (31%), ईसाई (3.7%) और आदिवासी समूहों का बड़ा हिस्सा इसका उपभोग करता है. एक अनुमान के अनुसार, असम की लगभग 35-40% जनसंख्या बीफ खाती है.
सवाल – भारत में पूर्वोत्तर के किन राज्यों में गोमांस सेवन की अनुमति है?
– अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, मेघालय, नागालैंड, त्रिपुरा और सिक्किम में गोमांस पर कोई प्रतिबंध नहीं है. मणिपुर में महाराजा ने 1939 में गोहत्या के लिए मुकदमा चलाने का आदेश दिया था, लेकिन गोमांस का सेवन व्यापक रूप से किया जाता है.
सवाल – भारत के किन और राज्यों में बीफ पर प्रतिबंध नहीं है?
– केरल में गोमांस पर कोई प्रतिबंध नहीं है. पश्चिम बंगाल में भी बिना किसी प्रतिबंध के गोमांस के सेवन की अनुमति है. गोवा में अनुमति है. उत्तरी और मध्य भारत के राज्यों में इसके सेवन पर सख्त प्रतिबंध है.
सवाल – अगर दोषी पाए गए तो क्या सजा है?
– कानून के तहत, दोषी पाए जाने पर 3 से 8 साल की जेल की सजा का प्रावधान है. इसके साथ ही दोषी पर 3 से 5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया जाता है.
सवाल – बीफ सेवन को लेकर नेशनल सैंपल सर्वे के आंकड़े क्या कहते हैं?
– इसके कोई नए आंकड़े नहीं हैं लेकिन नेशनल सैम्पल सर्वे की 2011-12 की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में आठ करोड़ से ज्यादा लोग बीफ खाते हैं. यानी भारत की तकरीबन साढ़े 7 फीसदी आबादी बीफ खाती है.
सबसे ज्यादा बीफ मुसलमान खाते हैं. लगभग 6.34 करोड़ मुस्लिम बीफ खाते हैं. वहीं, 65 लाख ईसाई बीफ खाते हैं. जबकि 1.26 करोड़ हिंदू भी ऐसे हैं जो बीफ खाते हैं.
इसकी सबसे ज्यादा खपत मेघालय में है. यहां की करीब 81 फीसदी आबादी बीफ खाती है. दूसरे नंबर पर लक्षद्वीप है, जहां की 77 फीसदी आबादी बीफ खाती है. नागालैंड की 58 फीसदी, सिक्किम की 31 फीसदी, जम्मू-कश्मीर की 30 फीसदी, केरल और अरुणाचल की 25-25 फीसदी, मणिपुर की 24 फीसदी, मिजोरम की 23 फीसदी और असम की 22 फीसदी आबादी बीफ खाती है.
सवाल – बीफ पर क्या केंद्र का भी कोई कानून है?
– बीफ (गोमांस) से संबंधित कानून भारत में मुख्य रूप से राज्य सरकारों द्वारा बनाए और लागू किए जाते हैं, क्योंकि यह विषय राज्य सूची के अंतर्गत आता है। हालांकि, केंद्र सरकार ने भी कुछ कदम उठाए हैं, कुछ कानूनों के जरिए वह इस पर नियंत्रण कर सकता है
– पशु क्रूरता रोकथाम अधिनियम, 1960 (Prevention of Cruelty to Animals Act, 1960)
इस अधिनियम के तहत पशुओं के प्रति क्रूरता को रोकने के प्रावधान हैं. इसके तहत पशुओं के अवैध वध को रोकने की बात कही गई है.
– पशु बाजार के लिए अधिसूचना (2017)
केंद्र सरकार ने पशु बाजारों में मवेशियों की बिक्री और खरीद को नियंत्रित करने के लिए 2017 में नियम बनाए थे. इसका उद्देश्य मवेशियों के अवैध वध पर रोक लगाना था. हालांकि इन नियमों को बाद में आलोचना और विवाद के चलते संशोधित किया गया.
भारतीय न्यायपालिका भी गोहत्या और बीफ पर कानूनों की वैधता पर सुनवाई करती रही है. सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि गोहत्या पर प्रतिबंध लगाना संवैधानिक है, लेकिन यह राज्यों के अधिकार क्षेत्र में आता है.
सवाल – भारत के राज्यों में गोमांस सेवन को लेकर क्या कानून है?
गुजरात, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान ने गोहत्या पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया है. इन राज्यों में गोमांस रखने, बेचने या खाने पर सख्त दंड का प्रावधान है. आंध्र और तेलंगाना में गायों और बछड़ों का वध प्रतिबंधित है. उल्लंघन करने वालों को 6 महीने की जेल और/या 1,000 रुपये का जुर्माना हो सकता है.
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