Ken-Betwa River Link Project: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज मध्य प्रदेश को बड़ी सौगात दी. उन्होंने खजुराहो में देश क …अधिक पढ़ें
हाइलाइट्स
मोदी ने महत्वाकांक्षी केन-बेतवा नदी जोड़ो राष्ट्रीय परियोजना का शिलान्यास कियाअटल बिहारी वाजपेयी ने 20 साल पहले ‘नदी जोड़ो अभियान’ की संकल्पना की थीप्रदेश की नदियों की वजह से यह परियोजना बुंदेलखंड की जीवन रेखा साबित होगी
Ken-Betwa River Link Project: 25 दिसंबर यानी आज पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी की 100वीं जयंती है. आज ही के दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खजुराहो में देश की पहली महत्वाकांक्षी केन-बेतवा नदी जोड़ो राष्ट्रीय परियोजना का शिलान्यास किया. यह अटल बिहारी बाजपेयी का ड्रीम प्रोजेक्ट था. अटल बिहारी ने करीब 20 साल पहले ‘नदी जोड़ो अभियान’ की संकल्पना की थी. उन्होंने देशभर की नदियों को जोड़कर बिखरी पड़ी जलराशि के समुचित प्रबंधन का सपना देखा था.
उनका सपना था, देशभर की नदियां आपस में जुड़ें और जल की एक-एक बूंद का उपयोग समाज और राष्ट्र के लिए हो. इस परियोजना के शिलान्यास के साथ अटल बिहारी का नदियों को आपस में जोड़ने का संकल्प और समृद्धि का सपना मूर्तरूप लेगा. मध्य प्रदेश कई नदियों का घर है, यह राज्य छोटी-बड़ी सैकड़ों नदियों की विपुल जलराशि से समृद्ध है. प्रदेश की नदियों के आशीर्वाद से यह बहुउद्देशीय परियोजना बुंदेलखंड की जीवन रेखा साबित होगी. पीएम मोदी अपने तीसरे टर्म में इस बहुप्रतीक्षित केन-बेतवा परियोजना को पूरा करने जा रहे हैं. इसके लिए केंद्र सरकार ने 45 हजार करोड़ रुपये जारी कर दिए हैं. केंद्र सरकार से लागत की 90 प्रतिशत राशि मिलने के बाद मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश राज्य सरकारों को बकाया पांच-पांच प्रतिशत राशि देनी है.
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44,605 करोड़ है अनुमानित लागत
राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना (एनपीपी) के तहत केन-बेतवा परियोजना की अनुमानित लागत 44,605 करोड़ रुपये है. परियोजना के कार्यान्वयन के लिए 22 मार्च, 2021 को उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश राज्यों और केंद्र सरकार के बीच एक त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे. उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में बीजेपी की सरकार होने और केंद्र में नरेंद्र मोदी की अगुआई में इसी पार्टी की सरकार होने के बावजूद भारत की पहली नदी जोड़ो परियोजना केन-बेतवा को बाधा का सामना करना पड़ा.
टेंडर के लिए नहीं आया कोई सामने
मध्य प्रदेश के छतरपुर में पन्ना टाइगर रिजर्व में दौधन बांध और दो सुरंगों के निर्माण के लिए निविदा के लिए कोई भी इच्छुक नहीं था. इसे ही परियोजना का दिल माना जा रहा है. राष्ट्रीय जल विकास प्राधिकरण (एनडब्ल्यूडीए) ने दौधन बांध और दो सुरंगों के निर्माण के लिए अगस्त 2023 में निविदा जारी की थी, जिसकी समय सीमा अक्टूबर थी, लेकिन किसी भी कंपनी ने निविदा प्रक्रिया में भाग नहीं लिया.
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क्यों काम नहीं करना चाहती थीं कंपनियां
इस परियोजना से जुड़े एक अधिकारी के अनुसार, एनडब्ल्यूडीए ने टेंडर दाखिल करने की अंतिम तिथि 18 जनवरी 2024 तक बढ़ाई थी. उसके बाद भी कंपनियों ने अनुमति, लागत और तकनीक से संबंधित प्रश्न भेजे, लेकिन टेंडर जमा करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई. एनडब्ल्यूडीए ने फिर तीसरी बार अंतिम तिथि बढ़ाकर 5 मार्च 2024 कर दी. मामले से परिचित अधिकारियों ने बताया कि यदि कंपनियां निविदा के लिए आगे नहीं आएंगी तो इससे परियोजना की लागत बढ़ जाएगी. एक शीर्ष अधिकारी ने कहा, “कंपनियों की परियोजना को लेकर अपनी चिंताएं हैं और इसीलिए उन्होंने टेंडर दाखिल नहीं किया. लेकिन अब हमने इसे सुलझा लिया है.”
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पर्यावरणीय मंजूरी भी देरी की वजह
एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर हिंदुस्तान टाइम्स को बताया, “कंपनियां पर्यावरणीय मंजूरी को लेकर भी चिंतित थीं. क्योंकि बांध का निर्माण पन्ना टाइगर रिजर्व के मुख्य क्षेत्र में किया जा रहा है.” परियोजना के लोअर ओर्र बांध के निर्माण पर भी पर्यावरण मंजूरी का सवाल उठाया गया. अधिकारी ने कहा, “पर्यावरण मंत्रालय ने लोअर ओर्र बांध परियोजना में पारिस्थितिकी नुकसान का आकलन करने के लिए नए सिरे से पर्यावरण मूल्यांकन करने को कहा और राज्य सरकार और कंपनी पर जुर्माना भी लगाया.”
क्या है केन-बेतवा परियोजना
केन-बेतवा परियोजना छतरपुर-पन्ना जिले में केन नदी पर विकसित की जा रही है. इसमें पन्ना टाइगर रिजर्व में केन नदी पर 77 मीटर ऊंचाई, 2.13 किलोमीटर लंबे दौधन बांध और दो टनल का निर्माण होगा. बांध में 2 हजार 853 मिलियन घन मीटर जल का भंडारण किया जाएगा. इसमें दाब युक्त सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली के माध्यम से प्रदेश के 10 जिलों पन्ना, दमोह, टीकमगढ़, छतरपुर, निवाड़ी, सागर, रायसेन, विदिशा, शिवपुरी और दतिया के लगभग दो हजार गांवों में 8.11 लाख हेक्टेयर में सिंचाई हो सकेगी. लगभग 7 लाख किसान परिवार लाभान्वित होंगे. मध्य प्रदेश की 44 लाख और उत्तर प्रदेश की 21 लाख आबादी को पेयजल की सुविधा मिलेगी. 103 मेगावॉट जल विद्युत एवं 27 मेगावॉट सौर ऊर्जा का उत्पादन होगा. इसका लाभ पूरे मध्य प्रदेश को मिलेगा.
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15 मीटर से ऊंचा होगा दोधन बांध, बनने में लगेंगे 6 साल
जानकारी के अनुसार इस परियोजना के अंतर्गत बनने वाले केन नदी पर प्रस्तावित दोधन बांध की ऊंचाई 15 मीटर से अधिक होगी. यह बांध 2,031 मीटर लंबा होगा. जिसमें से बांध की 1,233 मीटर लंबाई मिट्टी की होगी और शेष 798 मीटर लंबाई कंक्रीट की होगी. परियोजना दो चरणों में पूरी की जाएगी. पहले चरण में दौधन बांध परिसर का निर्माण पूरा किया जाएगा और दूसरे चरण में लोअर ओर्र बांध, बीना कॉम्प्लेक्स परियोजना और कोठा बैराज का निर्माण किया जाएगा.