Jharkhand Politics: खरमास के बाद दिल्ली में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और झारखंड बीजेपी के अध्यक्ष पद का चेहरा तय होना …अधिक पढ़ें
रांची. झारखंड की सियासत में अचानक ओडिशा के समंदर की लहरों को महसूस किया जाने लगा है. रघुवर दास के राज्यपाल पद से इस्तीफे के बाद सियासी लहरें अब ओडिशा की तटों को तोड़कर बाहर निकल कर चुकी हैं. अब ये लहर दिल्ली से टकरायेगी या फिर झारखंड की तट से…यह देखना बेहद दिलचस्प होगा. लेकिन बीजेपी के लिहाज से यह जानना जरूरी है कि विधानसभा चुनाव के दौरान ओबीसी यानि वैश्य समीकरण की जो कमी महसूस की गयी. क्या अब उसे पाटने की तैयारी है. दरअसल, झारखंड विधानसभा चुनाव के बाद विपक्ष में बैठी बीजेपी की राजनीति साइलेंट मोड में चल रही थी। लेकिन अचानक ओडिशा के राज्यपाल पद से रघुवर दास के इस्तीफे देने की खबर जैसे ही फैली बीजेपी में उनके एक्टिव एंट्री की घंटियां तेजी से गूंजने लगीं. चर्चा यह तेज हो गयी कि रघुवर दास जैसी शख्सियत को पार्टी दिल्ली में संगठन का कोई बड़ी पद देगी….या फिर वह झारखंड की राजनीति का हिस्सा बनेंगे?
वहीं, दूसरी तरह इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि झारखंड विधानसभा चुनाव में बीजेपी को अपने ओबीसी वोट बैंक का नुकसान झेलना पड़ा था. क्योंकि अपनी कैडर जाति वैश्य और कुड़मी समाज का वोट भी बीजेपी में शिफ्ट नहीं हो सका था. बताया गया कि पार्टी में वैश्य समाज का कोई बड़ा चेहरा नहीं था. चुनाव में बीजेपी ने वैश्य समाज से कुल 9 चेहरों को टिकट दिया था…जिसमें पांच को जीत मिली और चार को हार. ऐसे में चर्चा यह भी है कि रघुवर दास को झारखंड बीजेपी अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी दी जा सकती है.
2024 विस चुनाव में बीजेपी का वैश्य समीकरण
* 9 वैश्य से को टिकट, 5 की जीत, 4 की हार
* गोड्डा से अमित मण्डल हारे
* महगामा से अशोक भगत हारे
* बोकारो से बिरंचि नारायण हारे
* गिरिडीह से निर्भय शाहाबादी हारे
* हजारीबाग से प्रदीप प्रसाद जीते
* बाघमारा से शत्रुघ्न महतो जीते
* हटिया से नवीन जयसवाल जीते
* जमशेदपुर पूर्वी से पूर्णिमा साहू दास जीतीं
* डाल्टेनगंज से आलोक चौरसिया जीते
रघुवर दास को लेकर संभावना और समीकरण के लिहाज से इसलिए भी बल मिल रहा है कि अगर बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष पद के लिए चुना जाता है तब सदन में एक तरफ एसटी चेहरा मजबूत होगा. वहीं, प्रदेश कप्तान के तौर पर रघुवर दास के रूप में सबसे बड़े ओबीसी चेहरे को भी एकसाथ साधा जा सकता है. कुल मिलाकर रघुवर दास की संभावित एंट्री ने झारखंड की शांत सियासत की धारा पर एक कंकड़ जरूर फेंक दिया है.