नीतीश कुमार का बीजेपी से गठबंधन 1996 में शुरू हुआ, जो पहली बार नरेंद्र मोदी की वजह से 2013 में टूट गया. 2014 का चुनाव जब उन्होंने अकेले लड़ा तो उन्हें बिहार में महज 2 सीटें मिली फिर उन्होंने आरजेडी और कांग्रेस के साथ मिलकर महागठबंधन बनाया और 2015 का चुनाव भारी बहुमत से जीते. हालांकि उसके बाद फिर 2017 में नीतीश वापस एनडीए में चले गए. 2022 में एक बार फिर सत्ता परिवर्तन हुआ और नीतीश महागठबंधन के साथ आ गए.
नीतीश कुमार का अगला कदम क्या होगा, इसको लेकर बिहार की राजनीति पिछले 11 सालों से चल रही है. अब केंद्र की राजनीति भी नीतीश कुमार के अगले कदम का इंतजार करेगी. लोकसभा चुनाव के दौरान कहा जा रहा था कि नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जेडीयू चुनाव के बाद खत्म हो जाएगी, लेकिन इस बार के चुनाव परिणाम ने नीतीश कुमार और उनकी पार्टी को ऐसी मजबूती दी कि वो किंगमेकर बन गए हैं. अब केंद्र की राजनीति में भी सबकी निगाहें उन्हीं पर टिकी हुई हैं. नीतीश कुमार ने NDA को अपना समर्थन दिया है, लेकिन वो कब तक एनडीए में रहेंगे, इसकी चर्चा शुरू हो गई है.
नीतीश सबके हैं…’ ये उनकी पार्टी का स्लोगन भी है. इसलिए उनके विरोधियों को भी उनसे आस लगी रहती है क्योंकि नीतीश कुमार को किसी पार्टी से परहेज भी नहीं है. ये महज संयोग नहीं है कि नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू विपक्ष को एकजुट करने प्रयास कर चुके हैं. चंद्रबाबू ने 2019 के चुनाव से पहले प्रयास किया था और नीतीश कुमार ने 2024 के चुनाव को लेकर जो प्रयास किया था उसका नतीजा इंडिया गठबंधन के रूप में सामने है. 23 जून 2023 को नीतीश कुमार के नेतृत्व में इसकी पहली बैठक पटना में हुई लेकिन बाद की बैठकों में उन्हें किनारा कर दिया गया.