बजट में बिहार को क्या सच में बहुत ज्यादा मिला है? जो कुछ मिला है उसकी असल कहानी क्या है…

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केंद्रीय बजट में बिहार की हिस्सेदारी देश भर में चर्चा का विषय है.
केंद्रीय बजट में बिहार की हिस्सेदारी देश भर में चर्चा का विषय है.

बिहार के लिए केंद्र सरकार ने बजट में जो आवंटन किया है, उसे लेकर हर ओर बहस चल रही है. कुछ लोग मान रहे हैं कि बिहार को बह …अधिक पढ़ें

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केंद्रीय बजट पर संसद में तो बहस चल ही रही है, संसद के बाहर भी जुबानी जंग कम नहीं चल रही है. बिहार में सत्ताधारी खेमा ये साबित करने की कोशिश में लगा है कि नीतीश कुमार ने राज्य को स्पेशल दर्जा न दिला पाने की भरपाई जोरदार तरीके से करा ली है. जबकि विपक्षी दल खासतौर से राष्ट्रीय जनता दल इसे ‘झुनझुना’ करार दे रहा है. मीडिया में छपी खबरों को सही माना जाय तो इनमें सड़क परियोजनाएं भारतमाला प्रोजेक्ट का हिस्सा हैं. जबकि भागलपुर की पीरपैंती बिजली परियोजना 2008 की है. गया में इंडस्टियल डेवलमेंट का हब और राजगीर, बोध गया कॉरिडोर की योजनाएं नई है. साथ ही नालंदा के विकास की बात भी नई है, लेकिन नलंदा का बहुत सारा विकास हो ही चुका है. केंद्रीय बजट में राज्य में मेडिकल कॉलेज खोलने की बात भी कही गई हैं, लेकिन कहां- कहां खोले जाएंगे, फिलहाल इसकी घोषणा नहीं की गई है. बिहार को बाढ़ से बचाने के लिए जो राशि दी गई है, उससे नदियों को काबू में किया जा सकेगा इस पर सवाल उठ रहे हैं.

बिजली परियोजना की कहानी
मंगलवार को केंद्रीय बजट में वित्त मंत्री ने पीरपैंती बिजली परियोजना के लिए फंड देने की घोषणा की. भगलपुर जिले के लिए ये योजना 2008 में बनाई गई थी. उस समय नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री थे. उसी दौर में दो और परियोजनाओं की भी घोषणा की गई थी. बहरहाल, पीरपैंती योजना के लिए 918 किसानों से 948 एकड़ जमीन भी सरकार ने ले ली. परियोजना थर्मल पॉवर प्लांट की थी. बाद में इसे सोलर पॉवर प्लांट बनाने की घोषणा कर दी गई. इससे जिन किसानों से जमीनें ली गई थी उन्होंने विरोध शुरु कर दिया. बहरहाल प्रोजेक्ट रुक गया था. अब तीनों प्रोजेक्ट के लिए केंद्र सरकार ने बजट की व्यवस्था कर दी है. उम्मीद की जा रही है, इसका निर्माण भी शुरु हो ही जाएगा.

हाईवे की योजना
भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत देश भर में हाइवे का जाल बनाया जा रहा है. अलग अलग समय पर राज्य और केंद्र के मंत्री मार्च 2023 में मीडिया में खबरें छपी थी कि पटना पूर्णिया ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे का डीपीआर बनाने की अनुमति मिल गई है. मंत्रालय ने इसके लिए एजेंसी भी तय कर दी है जो डीपीआर बनाएगा. एक और खबर के मुताबिक मार्च 2023 में ही उस समय के मंत्री के हवाले से कहा गया था कि पूर्वांचल एक्सप्रेसवे को भागलपुर का डीपीआर तैयार हो गया है, बस इसकी मंजूरी मिलनी बाकी है. 2021 में ही राज्य सरकार के मंत्री ने असम दरभंगा एक्सप्रेस वे से उन बहुत सारे इलाकों को जोड़ने की बात की थी जो गया और दरभंगा से जुड़ेंगे. ये जरूर है कि राज्य सरकार के मंत्री बयान देते रहे, लेकिन केंद्र सरकार ने इस बार के बजट में इन परियोजनाओं के लिए धन की व्यवस्था कर ही दी.

बाढ़ से बिहार का बचाव
बाढ़ राज्य का तकरीबन 74 फीसदी हिस्सा प्रभावित होता है. इसका असर 28 जिलों के 68800 वर्ग किलोमीटर इलाके पर पड़ता है. यहां बाढ़ की कई वजहें हैं और इन पर एकेडमिक स्तर पर बहुत सारा रीसर्च हो चुका है. आजादी के बाद से तटबंध भी कई गुना बढ़ाए गए हैं. फिलहाल राज्य में 3800 किलोमीटर लंबाई के तटबंध से बाढ़ रोकने की कोशिश की जाती है. फिर भी बहुत अधिक जान माल का नुकसान राज्य हर साल सहता है. इसके बाढ़ के रोकथाम और सिचाईं योजनाओं के लिए केंद्र सरकार ने अपने बजट से 11500 करोड़ रुपये की व्यवस्था दी है. विपक्षी दल इस राशि को नाकाफी बता रहे हैं. हालांकि इस तरह से बजट में एकमुश्त राशि अब से पहले राज्य को नहीं मिली थी.

बक्सर के लिए पुल
बक्सर उत्तर प्रदेश और बिहार को जोड़ने वाले गेट की तरह है. वहां फिलहाल गंगा पर एक पुल है, लेकिन संकरा होने के कारण उस पर जाम लगा रहता है. बजट में नए पुल के लिए व्यवस्था की गई है. लेकिन दो लेन वाला पुल इसके लिए पर्याप्त हो पाएगा इसमें संदेह है. अगर इसकी जगह छह लेन वाला पुल बनाया गया होता तो सीधे बिहार पूर्वांचल एक्सप्रेस वे से जुड़ सकता था. जब भी पटना को दिल्ली से जोड़ने की कोशिश की जाएगी तब बक्सर में फिर से छह लेन वाला पुल बनाना ही पड़ेगा.

गया – इंडस्ट्रियल हब
पूर्वोदय योजना के तहत गया में केंद्र बना कर बिहार, झारखंड, ओडिशा, प.बंगाल और आंध्र के विकास की बात भी की गई. हालांकि बजट में ये साफ नहीं किया गया कि ये केंद्र कैसे काम करेगा. फिर भी अगर इन सारे राज्यों के विकास के लिए कोई हब बनता है तो निश्चित तौर पर ये स्वागत की बात है.

मेडिकल कॉलेज और हवाई अड्डे
बजट भाषण के दौरान वित्त मंत्री ने राज्य में मेडिकल कॉलेज और हवाई अड्डे खोने जाने के लिए धन के आवंटन की बात कही. हालांकि उन्होंने ये नहीं बताया कि ये निर्माण किन किन जिलों में होंगे. हालांकि पटना के अलावा दरभंगा में भी एम्स का निर्माण चल रहा है. लेकिन उसकी गति धीमी है. राज्य कांग्रेस अध्यक्ष मदन मोहन झा का कहना है कि दरभंगा एम्स में निर्माण की जो गति है उसे देख कर कहा जा सकता है कि ये अगले चार पांच साल में तैयार नहीं हो सकेगा. बिहार के लिए बजट में की गई घोषणा पर कांग्रेस नेता झा का कहना है -“ये छलावा है और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी इसका अहसास है. लेकिन वे अपनी साख बचाए रखने के लिए ढिंढोरा पीट रहे हैं.” आरजेडी पहले ही बजट प्रावधानों को झुनझुना बता चुका है.

बिहार निवासी और जाने माने अर्थशास्त्री नवल किशोर चौधरी का कहना है कि बिहार को जो मिला है हो सकता है कि बहुत से लोगों को लगे कि जो मिला है वो काफी नहीं है, लेकिन ये योजनाएं जब पूरी हो जाएंगी तो निश्चित तौर पर इससे विकास होगा. राज्य पीएचडी चैंबर्स के सत्यजीत सिंह भी तकरीबन ऐसी ही बाते कह रहे हैं. बजट प्राविधानों पर उनका कहना हैं – ‘ये नजरिए की बात है. अधिकतर परियोजनाएं दीर्घकालिक हैं. लिहाजा उनका असर आने में समय लगेगा.’ लेकिन ये भी सही है कि आरजेडी और कांग्रेस इन सब मामलों को लेकर मुख्यमंत्री

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