नई दिल्ली. पश्चिम बंगाल के न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशन के पास एक दिन पूर्व कंचनजंगा एक्सप्रेस हादसे के बाद सिग्नलिंग को लेकर सवाल उठने लगे हैं. रेलवे बोर्ड की चेयरपर्सन के अनुसार लोकोपायलट ने सिग्नलिंग सिस्टम की अनदेखी की है. रेलवे ट्रैक के किनारे लगे लगी ग्रीन और रेल सिग्लन तो सभी को समझ आ जाते हैं लेकिन येलो और डबल येलो सिग्लन का मतलब 99 फीसदी को पता नहीं होगा. सिग्नलिंग सिस्टम के संबंध में रेलवे बोर्ड के रिटायर मेम्बर इंफ्रास्ट्रक्चर प्रदीप कुमार से न्यूज18 हिन्दी ने बात की.
प्रदीप कुमार ने बताया हाई स्पीड और सामान्य ट्रैक में अलग-अलग दूरी में सिग्लन लगाए जाते हैं. ऐसे ट्रैक पर जहां पर शताब्दी, राजधानी, तेजस, वंदेभारत, एक्सप्रेस ट्रेनों का संचालन होता है, उसे हाई स्पीड ट्रैक बोलते हैं. यहां पर होम सिग्लन से दो किमी. पहले से लगे होते हैं. होम सिग्लन जहां पर ट्रेन को रोकना होता है, यह स्टेशन, हाल्ट या सामान्य ट्रैक हो सकता है.
(वहीं, सामान्य ट्रैक पर होम सिग्लन से एक किमी. पहले सिग्लन शुरू होते हैं. हालांकि ट्रेन को रुकने के लिए एक किमी. की दूरी पर्याप्त होती है, लेकिन हाई स्पीड ट्रैक में अतिरिक्त सर्तकता बरतते हुए दो किमी. पहले से सिग्लन शुरू हो जाता है.
अगर किसी ट्रेन का होम सिग्लन ग्रीन है और उससे पहले का सिंगल येलो है, इसका मलबत है कि लोकोपायलट को स्पीड धीमी करनी है. हो सकता है कि होम सिग्लन पर जाकर रोका जा सकता है. अगर कोई रूट में कोई परिवर्तन नहीं हुआ तो ट्रेन होम सिग्नल से बगैर रुके भी जा सकती है.
वहीं, कई बार ट्रैक किनारे लगे सिग्लन पर डबल येलो लाइट जलती हैं. इसका मतलब है कि ट्रेन को लूप लाइन में भेजना है. इससे लोको पायलट समझ जाता है कि ट्रेन को लूप लाइन में लेना है और वो ट्रेन की स्पीड कम लेता है. लूप लाइन में जाते समय ट्रेन की स्पीड 30 किमी. प्रति घंटा होनी चाहिए. और इस तरह दूसरी ट्रेन को मेन लाइन से थ्रू निकाल लिया जाता है. इस ट्रेन के निकलने के बाद होम सिग्लन रेड हो जाता है. जब यह सुनिश्चित हो जाता है, मेन लाइन से निकली ट्रेन अगले स्टेशन में पहुंच गई है. इसके बाद रेड सिग्लन दोबारा ग्रीन सिग्लन होता है.
होम सिग्लन से पहले का सिग्नल अगर ग्रीन हो तो…
होम सिग्लन से पहले का सिग्लन अगर ग्रीन है तो इसका मतलब है कि ट्रेन को थ्रू यानी सीधा जाना होता है और वो अपनी फुल स्पीड से जा सकती है. सामान्य तौर पर दो मेन लाइन और दो लूप लाइन होती हैं. जिस ट्रेन को सीधा जाना होता है, वे मेन लाइन से निकलती हैं और उस समय अगर कोई दूसरी ट्रेन मेन लाइन पर है तो उसे लूप लाइन में भेज दिया जाता है. इसके लिए डबल येलो सिग्नल दिया जाता है. लेकिन ट्रेन को लूप लाइन में भेजने से पहले यह सुनिश्चित कर लिया जाता है कि लूप लाइन में कोई दूसरी ट्रेन न खड़ी हो.