Delhi Election 2025: दिल्ली में पिछले 10 सालों से आम आदमी पार्टी की सरकार है. बीजेपी दिल्ली में आज तक अपनी सरकार नहीं …अधिक पढ़ें
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Delhi Election 2025: महाराष्ट्र की जंग जीतने के बाद अब बीजेपी के सामने अगली बड़ी चुनौती दिल्ली की है. यहां अरविंद केजरीवाल के किले को ध्वस्त करने में भारतीय जनता पार्टी को एक बार नहीं बल्कि पिछले तीन प्रयासों में हार का सामना करना पड़ा है. क्या अब 2025 की जंग पीएम मोदी और BJP आम आदमी पार्टी के खिलाफ जीत पाएगी? खैर यह तो वक्त ही बनाएगा. हालांकि एक बात साफ है कि बीजेपी अपनी पुरानी गलतियों से सीखते हुए इन चुनावों में उतरने की रणनीति पर काम कर रही है. बीजेपी सूत्रों का कहना है कि पार्टी इन चुनावो में 2013 और 2015 के विधानसभा चुनावों वाली गलती को नहीं दोहराएगी.
भाजपा दिल्ली विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा किए बिना ही लड़ सकती है. दिल्ली भाजपा के एक शीर्ष पदाधिकारी ने बताया कि पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने संकेत दिया है कि शीर्ष नेतृत्व प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में चुनाव प्रचार की सफल रणनीति को जारी रखने में विश्वास रखता है, जिसका इस साल हुए विभिन्न राज्यों के चुनावों में पॉजिटिव रिजल्ट देखने को मिला. भाजपा ने पिछले एक साल में हुए महाराष्ट्र, झारखंड, हरियाणा, तेलंगाना, राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा नहीं की. इनमें से पांच राज्यों में उसे जीत मिली. बीजेपी के अंदरूनी सूत्रों ने बताया कि शीर्ष नेतृत्व द्वारा मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा किए बिना चुनाव लड़ने के पीछे कई कारण थे.
10 साल की सत्ता विरोधी लहर मेन मुद्दा
भाजपा पदाधिकारी ने कहा, “यह दृष्टिकोण अन्य राज्यों में लागू की गई उनकी सफल रणनीति के अनुरूप है. इसके अतिरिक्त, यह पार्टी में आंतरिक टूट को रोकने में मदद करता है, जबकि यह सुनिश्चित करता है कि चुनावी फोकस व्यक्ति-संचालित अभियानों के बजाय नीतिगत मामलों पर बना रहे.” AAP पिछले 10 वर्षों से सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रही है. इसलिए हम इसे चेहरे की लड़ाई नहीं बनाना चाहते बल्कि सड़कों की स्थिति, सीएम आवास के रिनोवेशन पर खर्च जैसे मुद्दों की लड़ाई बनाना चाहते हैं.”
2015 और 2013 वाली गलती
दिल्ली में मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने का भाजपा का पिछला प्रयास 2015 में था, जिसमें पूर्व आईपीएस अधिकारी किरण बेदी उनकी पसंद थीं. हालांकि, पार्टी का प्रदर्शन उल्लेखनीय रूप से खराब रहा और उसे केवल तीन सीटें मिलीं. 2013 में, भाजपा ने हर्षवर्धन को अपना मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया. हालांकि पार्टी 32 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, लेकिन वे बहुमत हासिल करने से चूक गईं. 28 सीटें हासिल करने वाली आप ने कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाई, जिसके आठ विधायक थे. हालांकि, यह सरकार केवल 49 दिनों तक सत्ता में रही. पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी बिना सीएम उम्मीदवार के मैदान में उतरी थी और उसे केवल आठ सीटें मिलीं.