Raksha Bandhan 2024: गुलाबी नगरी जयपुर के अमर शहीद कैप्टन अमित भारद्वाज की बहन सुनीता धौंकरिया आज भी अपने भाई और उनकी प …अधिक पढ़ें
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महिमा जैन.
जयपुर. पूरे देश में आज रक्षाबंधन का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है. आज हम आपको एक ऐसे भाई बहन की कहानी बताने जा रहे हैं जिनका रिश्ता बेहद अनोखा है. यह भाई बहन हैं अमर शहीद कैप्टन अमित भारद्वाज और उनकी बहन सुनीता धौंकरिया. अमित भारद्वाज ने 1999 में कारगिल युद्ध में देश के लिए खुद को न्योछावर कर दिया था. अमित भले ही शहीद हो गए हों लेकिन सुनीता ने उनको राखी भेजना नहीं छोड़ा. बस फर्क इतना ही है कि पहले वे केवल अमित को राखी भेजती थी और आज उनकी पूरी यूनिट को रक्षा सूत्र भेजकर राखी का त्योहार मनाती हैं.
गुलाबी नगरी जयपुर के रहने वाले कैप्टन अमित भारद्वाज 17 मई 1999 को कारगिल युद्ध में काकसर क्षेत्र में बजरंग चोटी पर दुश्मनों से लोहा लेते हुए भारत मां की रक्षा करते हुए शहीद हो गए थे. शहीद अमित भारद्वाज की पार्थिव देह परिवार को 60 दिन बाद मिली. उनकी यूनिट के जवानों ने परिवार को बताया कि अपने साथी जवानों को बचाने के लिए अमित भारद्वाज 17 गोलियां खाकर भी आखिरी क्षणों तक दुश्मनों से लड़ते रहे. शहीद अमित भारद्वाज के साथ ही उनका एक सिपाही भी आखिरी दम तक दुश्मनों से लड़ता रहा.
4 जाट रेजिमेंट के हर एक जवान के लिए राखी भेजती हैं
कैप्टन अमित भारद्वाज की बहन सुनीता धौंकरिया ने अपने भाई की शहादत के बाद भी उनकी याद में राखी भेजने का सिलसिला जारी रखा. वो आज भी बदस्तूर जारी है. सुनीता ने बताया कि वे अपने भाई को रक्षाबंधन के अवसर पर राखी भेजा करती थी. कारगिल युद्ध में उनकी शहादत के बाद भी उन्होंने ये सिलसिला नहीं तोड़ा. उन्होंने अपने भाई की यूनिट 4 जाट रेजिमेंट के हर एक जवान के लिए राखी भेजना जारी रखा जो आज भी जारी है. कई बार यूनिट में जाकर भी बांधती है राखी.
पूरी यूनिट ही सुनीता को दीदी कहकर बुलाती है
सुनीता ने कहा कि जब वो राखी भेजती हैं उन्हें अपने भाई की उपस्थिति महसूस होती है. अमित की यूनिट के जवान भी उनकी राखी का सम्मान करते हैं. उन्होंने फौजी भाइयों पर गर्व करते हुए कहा कि वो अपने साथी के परिवार वालों का हमेशा ध्यान रखते हैं. शहीद अमित भारद्वाज की पूरी यूनिट ही सुनीता को दीदी कहकर बुलाती है. उन्हें बहन वाला प्यार और सम्मान देती है. यह एक अनोखी और भावपूर्ण कहानी है जो रक्षाबंधन के अवसर पर हमें भाई-बहन के प्यार और सम्मान की याद दिलाती है.
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