Jadavpur University Rama Navami: पश्चिम बंगाल के साथ ही पूरे देश में रामनवमी का त्योहार धूमधाम से मनाया गया. पश्चिम बंगाल के विभिन्न हिस्सों में भी भगवान की राम की पूजा में लाखों लोग शामिल हुए.

कोलकाता. वामपंथी छात्र संगठनों के दबदबे वाले जादवपुर यूनिवर्सिटी कैंपस रामनवमी के मौके पर भगवान राम की पूजा-अर्चना की गई. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के छात्रों ने दीवार पर ‘आजाद कश्मीर’ और ‘फ्री फिलिस्तीन’ जैसे लिखे नारों के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया. छात्रों ने इन नारों के ऊपर भारतीय तिरंगा लगाया और नारेबाजी की. इस प्रदर्शन के दौरान ‘जहां हुए बलिदान मुखर्जी, वह कश्मीर हमारा है’, ‘जय हिंद’ और ‘भारत माता की जय’ जैसे नारे गूंजे. यह प्रदर्शन रामनवमी के मौके पर कैंपस में पहली बार आयोजित श्री राम पूजा के दौरान हुआ. एबीवीपी ने इसे ऐतिहासिक दिन करार दिया है.
जादवपुर यूनिवर्सिटी एबीवीपी के रेजिडेंट सदस्य निखिल दास ने कहा, ‘हम खुश हैं कि आज कैंपस में पूजा हो रही है. यह पहली बार है जब रामनवमी पर श्री रामचंद्र जी की पूजा हो रही है. भगवान राम मानवता के सबसे उत्तम प्रतीक हैं. इस खास मौके पर हमने सभी को कैंपस में आमंत्रित किया है. कोई भी आ सकता है, हमें कोई दिक्कत नहीं है.’ उन्होंने यूनिवर्सिटी प्रशासन पर दोहरा रवैया अपनाने का आरोप लगाया. निखिल ने कहा, ‘इफ्तार के लिए परमिशन मिलती है, लेकिन रामनवमी के लिए नहीं. फ्री कश्मीर और फ्री मणिपुर जैसे नारे लिखने की आजादी दी जाती है, लेकिन पूजा की अनुमति नहीं मिलती. यह गलत है. फिर भी हमने पूजा का आयोजन किया. छात्रों के साथ शिक्षक और गैर-शिक्षण स्टाफ भी शामिल हैं. हम सब मिलकर इसे मना रहे हैं और बहुत खुश हैं.’
‘इफ्तार की अनुमति तो रामनवमी में भेदभाव क्यों’
जादवपुर यूनिवर्सिटी के गणित विभाग के प्रोफेसर बुद्धदेव एस ने कहा, ‘मुझे ठीक से नहीं पता कि यूनिवर्सिटी ने पूजा की अनुमति दी थी या नहीं. अगर मना किया, तो यह ठीक नहीं है. कैंपस में कृष्ण पूजा होती है, तो रामनवमी की पूजा क्यों नहीं? अगर प्रशासन ने मना किया, तो इसके पीछे कोई कारण होना चाहिए.’ उन्होंने सवाल उठाया कि क्या अकादमिक माहौल में धार्मिक गतिविधियां होनी चाहिए. प्रोफेसर ने कहा, ‘अगर यूनिवर्सिटी कोई नीति बनाती है कि कोई धार्मिक आयोजन नहीं होगा, तो ठीक है. लेकिन बिना फैसले के रामनवमी को रोकना गलत है. जब इफ्तार की अनुमति दी जाती है, तो इसमें भेदभाव क्यों?.
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‘हमारा संदेश साफ है…’
एबीवीपी के छात्र सोमसूर्य बनर्जी (यूजी थर्ड ईयर) ने प्रदर्शन का मकसद बताया. उन्होंने कहा, ‘हमारा संदेश साफ है- आजाद कश्मीर जैसा कुछ नहीं होता. यह एक मिथक है, जो कभी हकीकत नहीं बनेगा. जब तक राष्ट्रवादी छात्र और लोग हैं, कश्मीर भारत से अलग नहीं होगा. यह हमारा प्रतीकात्मक विरोध है. पूजा के बाद हम तिरंगे को हटाकर अपने साथ ले जाएंगे, क्योंकि यह एक सबूत है. कानूनी कार्रवाई चल रही है.’ सोमसूर्य ने नक्सलियों, माओवादियों और अलगाववादियों को चेतावनी भी दी. उन्होंने कहा कि जितना चाहे लिख लो, हमारा विरोध जारी रहेगा. कानून कार्रवाई करेगा और तिरंगा हर बार लहराएगा.