Arvind Kejriwal Bail: सुप्रीम कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को जमानत दे दी. लेकिन कई शर्तें भी लगा दी हैं. आइये आपको बताते ह …अधिक पढ़ें
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सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली एक्साइज पॉलिसी केस में AAP नेता और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) को जमानत दे दी. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जवल भूइंया की बेंच ने केजरीवाल को 10 लाख रुपये के बॉन्ड पर जमानत दी. बेल के साथ कई शर्तें भी लगाईं. केजरीवाल न तो दफ्तर जा पाएंगे और न ही किसी फाइल पर दस्तखत कर सकेंगे. सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने केजरीवाल की गिरफ्तारी को वैध ठहराया लेकिन सीबीआई की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े किये.
कौन हैं जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जवल भूइंया, जिन्होंने अरविंद केजरीवाल को जमानत दी? आइये आपको बताते हैं…
कौन हैं जस्टिस सूर्यकांत?
पहले बात करते हैं जस्टिस सूर्यकांत की. 10 फरवरी 1962 को हरियाणा के हिसार में जन्में जस्टिस सूर्यकांत ने हिसार के गवर्नमेंट कॉलेज से ग्रेजुएशन की पढ़ाई की. इसके बाद साल 1984 में महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी से लॉ की डिग्री हासिल की. फिर कुरुक्षेत्र ओपन यूनिवर्सिटी से लॉ में मास्टर्स भी किया. वकालत की पढ़ाई के बाद जस्टिस सूर्यकांत ने साल 1984 में हिसार के डिस्ट्रिक्ट कोर्ट से अपनी प्रैक्टिस शुरू की. साल 1985 में वह चंडीगढ़ आ गए और पंजाब व हरियाणा हाई कोर्ट में प्रैक्टिस करने लगे.
सबसे कम उम्र में हरियाणा के AG बने
जस्टिस सूर्यकांत को 7 जुलाई 2000 को हरियाणा का एडवोकेट जनरल नियुक्त किया गया. वह सबसे कम उम्र के एडवोकेट जनरल बनने वाले शख़्स थे. जस्टिस सूर्यकांत को साल 2004 में पंजाब व हरियाणा हाई कोर्ट का स्थाई जज नियुक्त किया गया. इसके बाद साल 2018 में उनका तबादला बतौर चीफ जस्टिस हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट कर दिया गया. साल 2019 में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जस्टिस सूर्यकांत की उच्चतम न्यायालय में नियुक्ति की सिफारिश की और केंद्र सरकार ने मंजूर कर लिया.
अगले साल बनेंगे CJI
तेज-तर्रार जजों में गिने जाने वाले जस्टिस सूर्यकांत चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (Chief Justice of India) बनने की कतार में भी हैं. अगर वरिष्ठता के सिद्धांत यानी सिनियॉरिटी प्रिंसिपल का पालन किया गया तो वह 24 दिसंबर 2025 को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बनेंगे. उनका कार्यकाल 1.2 साल का होगा और 9 फरवरी 2027 तक इस पद पर रहेंगे.
कौन हैं जस्टिस उज्जवल भूइंया?
अब बात करते हैं अरविंद केजरीवाल को जमानत देने वाले दूसरे जज जस्टिस उज्जवल भूइंया की. 2 अगस्त 1964 को असम के गुवाहाटी में जन्में उज्जवल भूइंया की शुरुआती पढ़ाई लिखाई वहीं हुई. इसके बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी के किरोड़ीमल कॉलेज में दाखिला लिया. ग्रेजुएशन के बाद वह वापस गुवाहाटी लौट गए और गवर्नमेंट लॉ कॉलेज से एलएलबी की डिग्री हासिल की. जस्टिस उज्जवल भूइंया ने 1991 में बतौर एडवोकेट प्रैक्टिस शुरू की. लंबे वक्त तक गुवाहाटी हाई कोर्ट में प्रैक्टिस करते रहे. टैक्सेशन से जुड़े मामलों में तमाम मुकदमे जीते. गुवाहाटी हाई कोर्ट ने 6 सितंबर 2010 को उन्हें सीनियर एडवोकेट नियुक्त किया. इसके बाद 21 जुलाई 2011 को उन्हें असम का एडवोकेट जनरल नियुक्त किया गया.
कब और कैसे बने जज?
जस्टिस उज्जवल भूइंया 17 अक्टूबर 2010 को गुवाहाटी हाई कोर्ट के एडिशनल जज नियुक्त हुए. बाद में 20 मार्च 2013 को उन्हें गुवाहाटी हाई कोर्ट का स्थायी जज बना दिया गया. इस दौरान वह मिजोरम स्टेट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी के अध्यक्ष भी रहे. 3 अक्टूबर 2019 को उनका तबादला बॉम्बे हाई कोर्ट में कर दिया गया. बाद में भी तेलंगाना हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस नियुक्त हुए. जुलाई 2023 में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने उनकी नियुक्ति की सिफारिश की और उच्चतम न्यायालय में आ गए.
टैक्सेशन लॉ के महारथी, संगीत के शौकीन
जस्टिस उज्जवल भूइंया टैक्स से जुड़े कानूनों के महारथी माने जाते हैं. सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने उनकी सिफारिश के दौरान खास तौर से टैक्सेशन लॉ में उनकी एक्सपर्टीज का जिक्र किया और नियुक्ति में इसे महत्वपूर्ण बताया था. जस्टिस उज्जवल भूइंया को गीत संगीत और एक्टिंग में भी शौक है. तमाम मौकों पर वह कहते रहे हैं कि उन्हें पछतावा है कि अच्छा गिटार नहीं बजा पाते हैं और अच्छे तैराक भी नहीं है.