Sri Lanka Economic Crisis : पड़ोसी देश श्रीलंका में नई सरकार बन चुकी है और अनूरा कुमार दिसानायके राष्ट्रपति की कुर्सी …अधिक पढ़ें
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हाइलाइट्स
श्रीलंका के सामने बेरोजगारी, महंगाई, गरीबी और कर्ज का बड़ा संकट है.दो साल पहले श्रीलंका के सामने महंगाई दर बढ़कर 70 फीसदी हो गई थी.सरकारी कर्ज जीडीपी का 100 फीसदी पार हो गया है, 51 अरब डॉलर है.
नई दिल्ली. बीते 3 साल से भयंकर आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहे पड़ोसी देश श्रीलंका को अपना नया कप्तान मिल गया है. हाल में हुए राष्ट्रपति चुनाव में बदलाव का नारा देने वाले अनूरा कुमार दिसानायके ( Anura Kumara Dissanayake) को आखिरकार जनता ने देश की बागडोर सौंप दी. भ्रष्टाचार की सफाई करने का भरोसा दिलाकर अनूरा राष्ट्रपति की कुर्सी पर तो बैठ गए लेकिन उनके लिए सत्ता संभालना आसान नहीं होने वाला. दिसानायके सामने चारों दिशाओं से मुसीबत और चुनौतियां आ रही हैं. राजनीतिक रूप से उन्हें भारत और चीन के साथ सामंजस्य बिठाना है तो आर्थिक मोर्चे पर 4 बड़ी चुनौतियां उनका इंतजार कर रही हैं.
दरअसल, दिसानायके को सत्ता ऐसे समय मिली है जब श्रीलंका खुद को स्थिर करने की कोशिशें कर रहा है. देश और नए राष्ट्रपति के सामने 4 बड़ी चुनौतियों की बात करें तो श्रीलंका पर भारी-भरकम विदेशी कर्ज लदा है, जिसे न चुकाने की वजह से लगातार डिफॉल्ट करता जा रहा और राजकोषीय घाटा बढ़ रहा. दूसरी बड़ी समस्या है रोजगार की है, क्योंकि देश में छोटे और मझोले उद्यमों पर ताले लग चुके हैं और बेरोजगारी बेतहाशा रूप से बढ़ती जा रही. तीसरी बड़ी समस्या है महंगाई की, जो दो साल पहले 70 फीसदी के आसपास चली गई थी और चौथी समस्या देश में बढ़ती गरीबी व खाद्यान्न का संकट है.
बदलाव के नाम पर मिला वोट, पर बदलेगा कैसे
श्रीलंका के राष्ट्रपति चुनाव में दिसानायके ने देश में बदलाव लाने की बात कहकर जनता का भरोसा जीता. जनता ने भी वाम विचारधारा के नेता की बात को स्वीकार जो भ्रष्टाचार पर सबसे कड़ा प्रहार करने की बात कहते हैं. अब राजनीति में तो बदलाव आ चुका है और राष्ट्रपति की कुर्सी पर वाम विचारधारा वाले व्यक्ति को बैठा दिया गया, लेकिन आर्थिक मोर्चे पर बदलाव लाना आसान नहीं होगा. ऊपर बताई चारों चुनौतियों से पार पाने का फिलहाल कोई रास्ता नहीं दिख रहा, जबकि जनता को जल्द अपने नए राष्ट्रपति से कुछ राहत की उम्मीद है.
कर्ज ने कर दिया बेड़ा गर्क
श्रीलंका पर अभी 50 अरब डॉलर (करीब 4.2 हजार करोड़ रुपये) से ज्यादा का विदेशी कर्ज लदा है. इसमें विश्व बैंक और आईएमएफ के अलावा चीन, जापान, भारत और फ्रांस का काफी पैसा शामिल है. अप्रैल 2022 में श्रीलंका ने साफ कह दिया था कि वह अभी कर्ज चुकाने की स्थिति में नहीं है, जिसकी बाद कई पमेंट डिफॉम्ट कर गई थी. भयंकर आर्थिक संकट में उसे आईएमएफ ने 3 अरब डॉलर की सहायता दी तो भारत ने 4 अरब डॉलर दिए. दिसानायके को इस चुनौती से निकलने के लिए देश के कर्ज को रीस्ट्रक्चर कराना होगा. उन्हें सबसे पहले भारत, जापान और फ्रांस का 5.9 अरब डॉलर का कर्ज रीस्ट्रक्चर कराने की जरूरत है. श्रीलंका का कुल कर्ज जीडीपी का 100 फीसदी पार कर चुका है.