70% ह‍िन्‍दू राम की सेना… बंगाल में बीजेपी का इस बार बड़ा खेल, 4 ओर से मिले इशारे, ममता के ल‍िए क‍ितनी बड़ी चुनौती?

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Bengal Chunav: बीजेपी इस बार बंगाल में ‘हिंदू कार्ड’ पूरी ताकत से खेल रही है. गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में खुलेआम बंगाल जीतने का ऐलान क‍िया था. अब रामनवमी पर ज‍िस तरह बीजेपी आक्रामक द‍िखी है, उससे ममता बनर्जी…और पढ़ें

70% ह‍िन्‍दू राम की सेना... बंगाल में बीजेपी का बड़ा खेल, 4 ओर से मिले इशारे

हाइलाइट्स

  • द‍िल्‍ली में अरविंद केजरीवाल को हराने के बाद बीजेपी बंगाल को लेकर काफी आक्रामक.
  • बीजेपी, आरएसएस और वीएचपी ने पूरे बंगाल में 2000 से ज्यादा शोभायात्राएं निकालीं.
  • बीजेपी अगर 5-7% अतिरिक्त हिंदू वोट हासिल कर लेती है, तो उसकी राह आसान होगी.

2021 में पश्च‍िम बंगाल विधानसभा चुनावों में श‍िकस्‍त के बाद लगा था क‍ि बीजेपी बंगाल पर फोकस छोड़ रही है. लेकिन दिल्‍ली जीतने के बाद बीजेपी और भी आक्रामक हो गई है. चंद द‍िनों पहले गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में खुलेआम कहा था क‍ि ‘सीना ठोककर बताएंगे…द‍िल्‍ली जीत ल‍िया अब बंगाल भी जीतेंगे.’ अब रामनवमी जो कुछ दिखा, वह ममता की धड़कनें बढ़ाने वाला है. बीजेपी के नेता अब खुलेआम ‘70% ह‍िन्‍दू राम की सेना’ की बातें करने लगे हैं. उधर, आरएसएस और विश्व‍ ह‍िन्‍दू पर‍िषद की जुबां पर भी अब सिर्फ बंगाल ही बंगाल है. बीजेपी 4 ओर से जोर लगाकर बंगाल में सत्ता का खेल बदलने की तैयारी में है. आख‍िर बीजेपी को वहां जीत की खुशबू क्‍यों मिल रही है, आइए समझते हैं?

राम नवमी पर बीजेपी पूरे पश्च‍िम बंगाल में बड़ी यात्राएं निकाली हैं. जुलूस में हजारों लोग शामिल हो रहे हैं. इसी के बहाने बीजेपी और उसके सहयोगी संगठन ह‍िन्‍दुओं को एकजुट करने में जुट गए हैं. बंगाल बीजेपी अध्‍यक्ष सुकांता मजूमदार ने कहा, रामनवमी जैसे त्योहारों पर भारी पुलिस बल की तैनाती इस बात का सबूत है कि राज्य सरकार हिंदुओं को दबाने की कोशिश कर रही है. मजूमदार ने कहा, 70% से ज्यादा हिंदू आबादी के बावजूद हमें अपने त्योहारों के लिए कोर्ट का सहारा लेना पड़ता है. यह बंगाल के हर नागरिक को सोचने पर मजबूर करता है. रामनवमी के दौरान बीजेपी, आरएसएस और वीएचपी ने पूरे बंगाल में 2000 से ज्यादा शोभायात्राएं निकालीं. शुभेंदु अधिकारी ने दावा किया कि इस बार एक करोड़ से ज्यादा लोग सड़कों पर उतरे. यह हिंदू ध्रुवीकरण की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है, जो ममता के लिए चिंता का सबब है.

हिंदू वोटरों की ताकत और बीजेपी का हिसाब
पश्चिम बंगाल की जनसंख्या में हिंदुओं की हिस्सेदारी करीब 70% है, जबकि मुस्लिम आबादी लगभग 27% है. 2021 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 38.15% वोट मिले थे और उसने 77 सीटें जीती थीं. वहीं टीएमसी ने 48% वोटों के साथ 215 सीटों पर कब्जा जमाया था. वोट शेयर में दोनों पार्टियों के बीच करीब 10% का अंतर था. बीजेपी का मानना है कि अगर वह हिंदू वोटरों के अतिरिक्त 5-7% को अपने पक्ष में कर ले, तो खेल बदल सकता है.

वीएचपी का समर्थन
विश्व हिंदू परिषद के नेता आलोक कुमार ने बीजेपी के सुर में सुर मिलाते हुए कहा कि बंगाल और तमिलनाडु जैसी सरकारें हिंदुओं को परेशान कर रही हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि टीएमसी सरकार बांग्लादेशी घुसपैठियों को वोटर और राशन कार्ड देकर बसाने में लगी है, जबकि हिंदुओं के अधिकारों को कुचला जा रहा है. वीएचपी का यह बयान बीजेपी के लिए हिंदू वोटरों को ध्रुवीकरण करने का एक मजबूत आधार तैयार कर रहा है.

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आरएसएस का कैडर को निर्देश
आरएसएस पहले ही बंगाल के कार्यकर्ताओं को 2026 के लिए तैयार रहने को कहा है. आरएसएस का संगठनात्मक ढांचा और जमीनी स्तर पर काम बीजेपी के लिए वोट जुटाने में अहम भूमिका निभा सकता है. आरएसएस चीफ खुद बंगाल में कैंप करने जा रहे हैं. इसका संदेश साफ है कि हिंदुत्व के मुद्दे को मजबूती से उठाकर हिंदू मतदाताओं को एकजुट करना ही लक्ष्य है.

कैसे पलट सकता है खेल

  • 2021 में बीजेपी को 38% वोट मिले थे. अगर वह 5-7% अतिरिक्त हिंदू वोट हासिल कर लेती है, तो उसका वोट शेयर 43-45% तक पहुंच सकता है. वहीं, टीएमसी का वोट शेयर अगर 5% भी घटकर 43% के आसपास आता है, तो बीजेपी बहुमत के करीब पहुंच सकती है.
  • अगर बीजेपी को 45% वोट मिलते हैं और टीएमसी का वोट शेयर 42-43% तक सिमट जाता है, तो बहुमत की राह आसान हो सकती है. 294 सीटों वाली विधानसभा में 148 सीटों का आंकड़ा पार करने के लिए बीजेपी को हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण और टीएमसी के पारंपरिक वोट बैंक में सेंधमारी जरूरी है.
  • 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 40% वोट शेयर के साथ 18 सीटें जीती थीं, जबकि 2024 में उसका वोट शेयर घटकर 12 सीटों तक सीमित हो गया. अब विधानसभा चुनाव में वापसी के लिए पार्टी हिंदुत्व को मुख्य हथियार बना रही है.

तैयारी इस बार अलग क्‍यों
आरएसएस और वीएचपी के साथ मिलकर बीजेपी ग्रामीण इलाकों में अपनी पैठ बढ़ाने की कोशिश कर रही है. खास तौर पर उत्तरी बंगाल और जंगलमहल जैसे क्षेत्रों में, जहां उसका पहले से प्रभाव है, पार्टी और जोर लगा रही है. ममता बनर्जी पर मुस्लिम तुष्टीकरण और घुसपैठ को बढ़ावा देने का आरोप लगाकर बीजेपी हिंदू वोटरों में असंतोष भड़काने की कोशिश कर रही है. ममता बनर्जी के लिए यह स्थिति आसान नहीं है. टीएमसी की ताकत उसका मुस्लिम वोट बैंक और ग्रामीण हिंदू वोटरों का समर्थन रहा है. लेकिन अगर बीजेपी हिंदू वोटों को एकजुट करने में कामयाब होती है, तो टीएमसी का वोट शेयर बंट सकता है. ममता ने हाल के वर्षों में हिंदू कार्ड खेलने की कोशिश की है, जैसे दुर्गा पूजा समितियों को अनुदान देना, लेकिन बीजेपी इसे नाकाफी बता रही है.

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