Bihar Politics : बिहार में अगले साल नवंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं लेकिन राज्य के तमाम राजनीतिक दलों के बीच हलचल काफ …अधिक पढ़ें
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पटना. क्या बिहार में समय से पहले विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. बिहार के तमाम राजनीतिक दलों के बीच हलचल तेज हो गई है. सीएम नीतीश कुमार का लगातार विकास कार्यों की समीक्षा करना और बिहार में चल रहे विकास कार्यों का जायजा लेना इस हलचल को और तेज करता है. राजनीतिक विश्लेषक भी कुछ संकेत के जरिये इसकी आशंका जता रहे हैं.
बिहार विधानसभा का चुनाव अगले साल नवंबर में होना है लेकिन राज्य के तमाम राजनीतिक दलों में हलचल देख कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या विधानसभा चुनाव समय से पहले भी हो सकते हैं. तेजस्वी यादव की यात्रा, प्रशांत किशोर की यात्रा, बीजेपी का सदस्यता अभियान, उपेन्द्र कुशवाहा की बिहार यात्रा, चिराग पासवान भी लगातार सक्रिय हो रहे हैं. हम पार्टी की सदस्यता अभियान का शुरू होना इस हलचल को और तेज करता है. इस आशंका को तब और बल मिला, जब नीतीश कुमार की सक्रियता देखने को मिली. सीएम नीतीश कुमार बिहार के कई जिलो में विकास कार्य देखने के लिए जा रहे हैं. राजनीतिक हलकों में चर्चा का बाजार गर्म है. राजनीतिक विश्लेषक भी कयास लगाने लगे हैं कि बिहार में समय से पहले विधानसभा चुनाव हो सकते हैं.
वरिष्ठ पत्रकार संतोष सिंह का कहना है, ‘नीतीश कुमार दबाव में नहीं रहना चाहते हैं. उनके अंदर 43 विधायकों की संख्या बढ़ाने की ललक साफ-साफ देखी जा सकती है. इस वजह से वह चाहते हैं कि जल्द से जल्द चुनाव हो जाएं.’
हालांकि जेडीयू पुरजोर तरीके से इसका खंडन कर रही है और दावा करती है कि चुनाव समय पर होगा. दूसरे दलों में इसका संकेत साफ दिख रहा है जो जनता के बीच उतर चुके हैं.
बिहार में तेजी से उभर रहा प्रशांत किशोर का फैक्टर…
प्रशांत किशोर का फैक्टर भी तेजी से बिहार में उभर रहा है जिसकी वजह से भी ये चर्चा हो रही है कि जितना ज्यादा समय पीके को मिलेगा, उतना ही ज्यादा वह दूसरे दलों को परेशान कर सकता है.
वहीं एनडीए को लगता है कि लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद विधानसभा के लिहाज से 176 विधानसभा सीट पर एनडीए लीड किया है जिसका फायदा जल्द से जल्द चुनाव में उठाया जा सकता है. हालांकि बीजेपी इसे नहीं मानती है और कहती रही है कि चुनाव समय पर ही होगा.
नीतीश कुमार की बेचैनी
बहरहाल चुनाव कब होंगे? समय पर होंगे या समय के पहले, यह तो आगे आना वाला समय ही बताएगा लेकिन राजनीतिक दलों ने आम जनता के बीच सक्रियता बढ़ा दी है. यह भी सच है कि 2005 के बाद अभी तक समय से पहले कभी चुनाव नहीं हुआ है. फिलहाल बिहार की राजनीतिक परिस्थिति कुछ अलग दिखती है. खासकर जेडीयू के तीसरे नंबर की पार्टी बनने के बाद बिहार की राजनीति में भी काफी बदलाव आया है. बिहार की राजनीति में तीसरे नंबर की पार्टी का तगमा लिए नीतीश कुमार की बेचैनी साफ झलकती है. ऐसे भी माना जाता है कि नीतीश कुमार के अंदर क्या चल रहा है, इसकी भविष्यवाणी कोई नहीं कर सकता है. पटना में लगे भी ये तो साफ-साफ इशारा कर रहे हैं कि 2025 के विधानसभा चुनाव में एनडीए के चेहरा के तौर पर नीतीश ही रहने वाले हैं. 25 से 30 फिर से नीतीश.