UP STF: किसके इशारों पर काम करती है एसटीएफ? कैसे मिलती है नौकरी? कौन होता है सबका बॉस?

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UP STF: पूरे देश में इस समय यूपी एसटीएफ (स्पेशल टास्क फोर्स) चर्चा में है. इसको लेकर कई तरह के राजनीतिक आरोप प्रत्‍यारो …अधिक पढ़ें

UP STF: यूपी एसटीएफ को लेकर हाल ही में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने योगी सरकार पर निशाना साधा और कई आरोप भी लगाए, जिसके बाद यूपी एसटीएफ को लेकर कई तरह की चर्चाएं हो रही हैं. ऐसे में आइए जानते हैं कि आखिर यूपी एसटीएफ को कौन चलाता है, इसमें काम करने वाले अधिकारियों का बॉस कौन होता है, और अगर कोई यूपी एसटीएफ में नौकरी करना चाहे, तो कैसे कर सकता है?

सबसे पहले इस बात से शुरुआत करते हैं कि आखिर यह एसटीएफ है क्या?, तो आपको बता दें कि एसटीएफ उत्तर प्रदेश पुलिस की एक ऐसी स्पेशल सेल है, जिसका गठन सिर्फ बदमाशों और माफियाओं पर अंकुश लगाने के लिए किया गया था. यूपी एसटीएफ का गठन 04 मई 1998 को माफिया और संगठित अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए किया गया था. उस समय उत्तर प्रदेश पुलिस के तत्कालीन एडीजी अजयराज शर्मा को एसटीएफ के गठन की जिम्मेदारी दी गई थी. इसमें राज्य पुलिस के 50 बेहतरीन जवानों को चुनकर स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) बनाया गया था. तब से यह यूपी में काम कर रही है. एसटीएफ को अपराधियों को धड़ाधड़ एनकाउंटर के लिए भी जाना जाता है, इसके एनकाउंटर को लेकर अक्सर सवाल उठते रहे हैं.

UP Police STF Chief: कौन होता है एसटीएफ का मुखिया
अब सवाल यह उठता है कि आखिर यूपी पुलिस की इस स्पेशल टास्क फोर्स यानि एसटीएफ को चलाता कौन है, तो जान लीजिए कि एसटीएफ का नेतृत्व अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजी) रैंक का आईपीएस अधिकारी करता है. बता दें कि किसी भी आईपीएस को अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजी) तक पहुंचने के लिए कम से कम 25 साल की सेवा पूरी करनी होती है. तब जाकर कोई आईपीएस, एडीजी बनता है.

UP Police STF Work: कैसे होता है काम
एसटीएफ में एडीजी की सहायता के लिए एक पुलिस महानिरीक्षक (IG) रैंक का अधिकारी होता है. बता दें कि कोई भी आईपीएस 19 साल की सेवा पूरी करने के बाद आईजी रैंक तक पहुंचता है. एसटीएफ की अलग-अलग टीमें होती हैं, हर टीम में डिप्टी एसपी के अतिरिक्त एक एसपी (पुलिस अधीक्षक) रैंक के अधिकारी होते हैं. जब भी एसटीएफ कोई नया अभियान शुरू करती है, तो उन अभियानों का प्रभारी एसएसपी रैंक के अधिकारी को बनाया जाता है. इसके अलावा एसटीएफ खुफिया तंत्र का भी सहारा लेती है.

UP Police STF Teams: कितनी टीमें कर रहीं काम?
वर्तमान में उत्तर प्रदेश में एसटीएफ की कुल आठ यूनिट अलग-अलग जगहों पर कार्यरत हैं, जिनका काम अपराधियों को पकड़ना और अपराध रोकना है. यूपी एसटीएफ की यूनिटें गौतम बुद्ध नगर (नोएडा), मेरठ, आगरा, बरेली, प्रयागराज, वाराणसी, गोरखपुर और कानपुर में तैनात हैं.

UP Police STF Jobs: कैसे हो सकते हैं एसटीएफ में शामिल
एसटीएफ की अलग से वैकेंसी नहीं निकलती. इसमें आने वाले एसपी, डिप्टी एसपी या इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी पुलिस विभाग से ही लिए जाते हैं. उनकी पोस्टिंग उनके काम, पुराने ट्रैक रिकॉर्ड और ईमानदारी के आधार पर एसटीएफ में की जाती है, इसलिए यह स्पष्ट है कि एसटीएफ में जाने के लिए सबसे पहले आपको पुलिस सेवा में जाना होगा, उसके बाद ही आप एसटीएफ में शामिल हो सकते हैं.

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UP Police STF Salary: कितनी मिलती है सैलरी
यूपी एसटीएफ की सैलरी भी अलग से निर्धारित नहीं है. इसमें आने वाले हर अधिकारी को उनकी रैंक के आधार पर जो सैलरी और सुविधाएं मिलती हैं, वही उन्हें उपलब्ध कराई जाती है. अगर आप डिप्टी एसपी हैं, तो आपको आपकी रैंक के आधार पर तय सैलरी मिलेगी. इसी तरह आईपीएस अधिकारियों को उनकी रैंक के अंतर्गत जो सैलरी दी जाती है, वही मिलेगी. ऐसे में अगर सैलेरी की बात करें, तो यूपी में डीएसपी का ग्रेड पे 5400 का होता है. इस तरह पे स्‍केल 56100 होता है. मंथली ग्रास सैलेरी 78000-96000 तक होती है. इसी तरह एसपी का ग्रेड पे 7600 का होता है. जिसका पे स्‍केल 78800 होता है. ऐसे में मंथली ग्रास सैलेरी 110000-135000 मिलती है. इसी तरह एसटीएफ में जिस रैंक के अफसर शामिल होते हैं उस रैंक के हिसाब से उन्‍हें सैलेरी मिलती है.

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क्‍या है एसटीएफ का उद्देश्य
यूपी पुलिस की स्‍पेशल टॉस्‍क फोर्स (STF) जिसे हिन्‍दी में विशेष कार्य बल भी कहते हैं. यूपी पुलिस की आधिकारिक वेबसाइट पर इसके बारे में पूरी जानकारी दी गई है. जिसमें बताया गया है कि एसटीएफ की स्‍थापना यूपी सरकार के आदेश संख्या 1889 (1) VI-Pu-2-98-1100 (35)के तहत की गई थी, उस समय इसके कुछ उद्देश्य बताए गए थे जो इस प्रकार हैं-

1- माफिया गैंगों की खुफिया जानकारी एकत्र करना और ऐसे गैंगों के खिलाफ खुफिया आधारित कार्रवाई करना.
2- विघटनकारी तत्वों, विशेष रूप से ISI एजेंटों के खिलाफ कार्रवाई की योजना तैयार करना और उसका कार्यान्वयन करना.
3- जिला पुलिस के साथ समन्वय में सूचीबद्ध गैंगों के खिलाफ कार्रवाई करना.
4-डकैती करने वाले गैंगों, विशेष रूप से अंतर-जिला गैंगों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई करना.
5-संगठित अपराधियों के अंतर-जिला गैंगों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई करना.

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